सीएम योगी का भ्रष्टाचार पर एक और प्रहार,चकबंदी में गड़बड़ी पर डीडीसी व बंदोबस्त अधिकारी समेत सात निलंबित
मामला वाराणसी जिले की पिंडरा तहसील के कोइराजपुर गांव का है। शिकायतकर्ता गरिमा सिंह की ओर से शासन को बताया गया कि गांव में चकबंदी शुरू होने से पहले उनके पिता ने बैनामे के जरिये छह बिस्वा जमीन खरीदी थी। यह जमीन उनके और उनकी दो बहनों के नाम थी। चकबंदी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मनमाने तरीके और चकबंदी के नियमों के खिलाफ इस जमीन को खुर्द-बुर्द कर दिया। जमीन दूसरों के नाम कर दी गई। उन्हें देने के लिए जमीन नहीं बची।
चकबंदी महकमे की मनमानी के खिलाफ वह वाराणसी जिले के अधिकारियों के दफ्तरों के तीन साल तक चक्कर लगाती रहीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हारकर उन्होंने शासन से गुहार लगाई। शासन ने मामले की जांच कराई, जिसमें नियमों की अनदेखी और अनियमितता की पुष्टि हुई। जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चकबंदी के सात कार्मिकों को निलंबित करने का निर्देश देने के साथ प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए मंडलायुक्त वाराणसी को जांच अधिकारी नामित किया है। इस प्रकरण के साथ ही उन्होंने गांव में चकबंदी के 40 और मामलों को भी तेजी से निपटाने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उप संचालक चकबंदी (डीडीसी) प्रकाश राय, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी (एसओसी) संजय राय, चकबंदी अधिकारी शैलेंद्र द्विवेदी, सहायक चकबंदी अधिकारी लाल सिंह, पेशी कानूनगो राजेश कुमार, चकबंदीकर्ता अमित कुमार सिंह व चकबंदी लेखपाल मंगला चौबे को निलंबित करते हुए चकबंदी आयुक्त कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। इन निलंबित कार्मिकों की जगह छह लोगों की तैनाती के आदेश भी दिए गए हैं।
चकबंदी आयुक्त कार्यालय में तैनात तरुण कुमार मिश्र को उप संचालक चकबंदी, उन्नाव से कानपुर के लिए स्थानांतरणाधीन आलोक सिंह को बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, आजमगढ़ में तैनात अशोक त्रिपाठी को चकबंदी अधिकारी, उन्नाव में तैनात राजेश कुमार को सहायक चकबंदी अधिकारी, उन्नाव में कार्यरत सियाराम मौर्य को चकबंदीकर्ता व रामनरेश को चकबंदी लेखपाल के पद पर तैनाती दी गई है।
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