फसल अवशेष जलाना अपराध है - जिला विकास अधिकारी

    कलेक्ट्रेट स्थित प्रेक्षागृह में शुक्रवार को कृषि विभाग द्वारा प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्राप रेजिडयू योजना के अंतर्गत जिला विकास अधिकारी बी.बी. सिंह की अध्यक्षता में पराली प्रबंधन हेतु जनपद स्तरीय जागरूकता/गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए जिला विकास अधिकारी बीबी सिंह ने कहा है कि कोई भी किसान फसल अवशेष खेत में न जलाए बल्कि उनका प्रबंधन कर मृदा स्वास्थ्य को अक्षुण्ण बनाए। कंबाइन हार्वेस्टर के साथ फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले यंत्र के साथ फसल की कटाई कराएगें, यदि कोई भी हार्वेस्टर धारक बगैर फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रों के  कटाई करते हुए पाए गए तो तत्काल उनकी मशीन सीज कर दी जाएगी। किसानों को फसल अवशेष ना जलाने के लिए उन्हें जागरूक करने के लिए न्याय पंचायत वार एवं ग्राम पंचायतवार कृषि विभाग तथा राजस्व विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी  जो आवंटित गांव में अक्टूबर से जनपद के सभी राजस्व गांव में कैंप लगाकर के किसानों को पराली न जलाने के संबंध में जागरूकता अभियान चलाएंगे, साथ ही पीएम किसान के लाभार्थी जो केसीसी लेना चाहते हैं उनका भी फार्म भरवा करके संबंधित बैंकों को भेजेंगे तथा किसान सम्मान निधि योजना में किसी किसान का पीएम किसान के आधार पर सत्यापित नहीं है या कोई समस्या है उसका भी समाधान करे। उप कृषि निदेशक जय प्रकाश ने बताया कि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर फसल अवशेष जलाए जाने से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण की रोकथाम हेतु जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विभाग द्वारा निःशुल्क वेस्ट डी कम्पोजर किसानों को वितरित कराया जाएगा जिससे किसान बहुत कम समय मे ही खेतो में पराली प्रबंधन कर सकते है, जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहेगा साथ ही मृदा स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा फलस्वरूप उत्पादन में बृद्धि होगी।
            मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश सिंह ने पराली को गोआश्रम में देकर खाद लेने का सुझाव दिया। कृषि वैज्ञानिक डा. सुरेन्द्र प्रताप सोनकर ने कहा कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के अनुसार फसल अवशेष को जलाना एक दंडनीय अपराध है इससे होने वाली क्षति की वसूली में 2 एकड़ से कम क्षेत्रफल पर रु0 2500 और 2 एकड़ से 5 एकड़ के लिए रु0 5000 और 5 एकड़ से ऊपर के क्षेत्रफल के लिए रु0 15000 तक का दंड लगाकर वसूली किए जाने के निर्देश हैं। फसल अवशेष जलाने की पुनरावृत्ति होने पर संबंधित कृषक के विरुद्ध कारावास, अर्थ दंड की व्यवस्था है साथ ही कृषि विभाग द्वारा दी जाने वाली अनुदान अनुदान की धनराशि बंद कर दी जाएगी। जिला हर हार्वेस्टर मशीन पर कृषि विभाग का कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे जो प्रतिदिन कटाई की सूचना सेल को उपलब्ध कराएगें,जागरूकता अभियान विशेष रूप से हर न्याय पंचायतवार व ग्राम पंचायत वार क्लस्टर बनाकर राजकीय कर्मचारियों को नामित किया जाएगा, ताकि फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाएं बिल्कुल ना हो। जनपद के समस्त थाना प्रभारियों को  निर्देश दिए गए हैं कि अपने क्षेत्र में फसल अवशेष को जलाने से रोकने हेतु प्रभावी कार्यवाही करें तथा किसी भी दशा में न  जलने दे फसल कटाई के दौरान कंबाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अथवा अथवा स्ट्रा रीपर एवं बेलर का उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा व्यवस्था के बगैर कोई भी कंबाइन हार्वेस्टर फसल की कटाई नहीं करेगा यदि कटाई करते हुए पाया जाता है तो उसके कंबाइन को जप्त कर लिया जाएगा और उसके ऊपर अर्थदंड भी लगाया जाएगा जिसके तहत कंबाइन मालिक के स्वयं के खर्चे पर सुपरस्टार मैनेजमेंट सिस्टम लगवाकर ही छोड़ा जाएगा। जिला कृषि अधिकारी केके सिंह ने कहा कि जनपद में इन-सीटू योजना से ग्राम पंचायत समिति के आठ, सहकारी समितियों के चार तथा औद्योनिक समिति के तीन फार्म मशीनरी बैंक के लक्ष्य प्राप्त हुए थे संबंधित ग्राम पंचायतों/समितियों को रु0 चार लाख के अनुदान की राशि खाते में पहुंच जाएगी अति शीघ्र फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र खरीद कर कटाई में प्रयोग किए जाएंगे। जिला कृषि अधिकारी के.के. सिंह ने किसानों से अपील किया कि फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए आठ प्रकार के यंत्र कृषि विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है किसान अपने पसंद के यंत्र का ऑनलाइन टोकन जनरेट कर अनुदान पर प्राप्त कर सकते हैं। संचालन अपर जिला कृषि अधिकारी रमेश चंद्र यादव ने किया। इस मौके पर कृषि विभाग एवं संबंधित विभागों के समस्त अधिकारी, क्षेत्रीय कर्मचारी, प्रगतिशील किसान मौजूद रहे। अन्त में जिला कृषि अधिकारी के.के. सिंह ने आभार ज्ञापित किया।

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