राजनीति के केन्द्र बिन्दु में मानव होः प्रो. त्रिलोचन शर्मा


पंडित जी के विचार आज भी प्रासंगिकः कुलपति
सिद्दीकपुर, जौनपुर। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस पर दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक चिंतनः एक विमर्श विषय पर एक ई-संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम में एकात्म मानव दर्शन शोध संस्थान एवं विकास प्रतिष्ठान नई दिल्ली के सह समन्वयक प्रोफेसर (डा.) त्रिलोचन शर्मा ने कहा कि श्री उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन मिनिमम गवर्मेंट-मैक्सिमम गवर्नेंस की भावना के अनुरूप है। व्यवस्था वही अच्छी होती है जो कम से कम शासन करे। इसी क्रम में पूविवि की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि वर्तमान राजनीति के दौर में श्री उपाध्याय के राजनीतिक विचार अत्यंत प्रासंगिक हैं। भारतीय राजनीति में जो भी राजनीतिक दल हैं, उन्हें पंडित जी के विचारों को आत्मसात करते हुए राष्ट्र की एकता एवं अखंडता के प्रश्न पर एकजुट होकर काम करना चाहिए। वैचारिक भिन्नता के साथ राष्ट्र की मजबूती के लिए सबको एकजुट होकर काम करना चाहिए। कुलपति ने अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धारा 370 हटाए जाने के साहसिक निर्णय की सराहना करते हुए यह कहा कि इस निर्णय से संपूर्ण अखंड भारत एक झंडे के नीचे एकजुट हुआ है और राष्ट्र मजबूत हुआ है। कुलपति ने दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ द्वारा समय-समय पर पंडित जी के विचारों के प्रचार प्रसार हेतु आयोजित किए जाने वाले कान्फ्रेंस, सेमिनार, सिंपोजियम आदि की सराहना करते हुए इसे आगे इसी प्रकार जारी रखने हेतु प्रेरित किया। इसके पूर्व दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो. मानस पांडेय ने शोध पीठ द्वारा अब तक किए गए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए संगोष्ठी में जुड़े विद्वत समाज का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन किया। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अजय द्विवेदी ने लोगों का आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन शोध पीठ के सदस्य डा. अनुराग मिश्र ने किया। तकनीकी सहयोग शोध छात्र नितिन चौहान ने दिया। संगोष्ठी प्रारंभ होने के पूर्व संकाय भवन में पंडित जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण का कार्यक्रम संपन्न हुआ और पंडित जी के विचारों को आत्मसात् करने का संकल्प लिया। संगोष्ठी में प्रो. अशोक श्रीवास्तव, प्रो. अविनाश पार्थीडकर, प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. मनोज मिश्र, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. देवराज सिंह, डा. विवेक पांडेय, डा. वनिता सिंह सहित वरिष्ठ आचार्यगण उपस्थित रहे।

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