नदीम जावेद को हाशिए पर धकेल रही कांग्रेस,एक पर एक मिल रहा झटका

नदीम जावेद को हाशिए पर धकेल रही कांग्रेस,एक पर एक मिल रहा झटका

अजवद क़ासमी

नई दिल्ली-: धीरे-धीरे कट्टर हिंदुत्व की तरफ बढ़ रही कांग्रेस पार्टी पिछले कुछ सालों से लगातार अपनी ही पार्टी के कई कद्दावर और दिग्गज मुस्लिम नेताओं को हाशिए पर डालने में कोई भी कोर कसर बाकी नहीं रख रही है। बीते दिनों कांग्रेस पार्टी की बुनियाद का पत्थर कहे जाने वाले गुलाम नबी आजाद को लेकर भी खूब चर्चा रही और उनकी नाराजगी भी उनके बयानों में साफ झलकती दिखाई दी यहां तक कि उनके भाजपा में जाने की भी अटकलें तेज़ हो गईं जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उनकी जमकर तारीफ की थी।
इसी बीच एक और दिग्गज मुस्लिम नेता के तौर पर जाने जाने वाले उत्तर प्रदेश की जौनपुर की सदर सीट से विधायक रहे नदीम जावेद को भी कांग्रेस लगातार हाशिए पर डाल रही है नदीम जावेद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हुआ करते थे उसके बाद उन्हें कांग्रेस के अल्पसंख्यक सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया लेकिन अचानक नदीम जावेद से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छीन कर कांग्रेस के ही  टिकट से 2019 में मुरादाबाद की लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर बुरी तरह से हारे शायर इमरान प्रतापगढ़ी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया जो खुद कांग्रेस के नेताओं को भी हजम नहीं हुआ।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि नदीम जावेद जैसे दिग्गज नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाकर इमरान प्रतापगढ़ी जैसे शख्स को इतनी बड़ी जिम्मेदारी आखिर कैसे दे दी गई अगर बात करें पूर्व विधायक नदीम जावेद की तो उन्होंने अपना पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी को समर्पित कर दिया और हर हाल में कांग्रेस के साथ खड़े रहे लेकिन पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि नदीम जावेद को पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से किनारे कर दिया गया और इसी बीच जब उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर कांग्रेस की चुनाव कमेटी की लिस्ट जारी की गई उसमें ओने पौने नेताओं के भी नाम शामिल रहे लेकिन नदीम जावेद कांग्रेस की इस लिस्ट से पूरी तरह गायब रहे।
ऐसा माना जा रहा था कि दूसरी लिस्ट में नदीम जावेद का नाम आना लगभग तय होगा लेकिन हाल ही में जब कांग्रेस की दूसरी लिस्ट जारी हुई तो उसमें भी नदीम जावेद का नाम नदारद रहा।ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस नदीम जावेद से पूरी तरह से दूरी बनाने के मूड में है और पार्टी में किसी भी तरह की जिम्मेदारी देने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है हालांकि कांग्रेस द्वारा नदीम जावेद से इस तरह किनारा कशी इख्तियार किए जाने को लेकर नदीम जावेद के गृह जनपद जौनपुर के उनके समर्थकों में ही जबरदस्त रोष दिखाई दे रहा है जो कहीं ना कहीं एक बड़ी बगावत की तरफ इशारा भी करता है और साथ ही हाल में जब नदीम जावेद अपने गृह जनपद पहुंचे तो उनके साथ भी वो भीड़ नही दिखी जो आमतौर पर देखी जाती थी।सवाल ये भी पैदा होता है कि क्या कांग्रेस पार्टी मुस्लिम नेताओं से दूरी बनाने का संकल्प ले चुकी है या फिर उन्हें सिर्फ इस्तेमाल करके दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देना चाहती है।

कांग्रेस के अंदर के जानकार बता रहे हैं प्रियंका ने गांधी के नेतृत्व की उत्तर प्रदेश की कांग्रेस को उनसे दूरी बनाने को कहा गया है अब सवाल यह भी उठता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में नदीम जावेद क्या करने वाले हैं जैसा कि यह तय है कि सदर जौनपुर की सीट पर मुकाबला और संघर्ष समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच होना है इसके बीच में अगर नदीम जावेद पूरी तरह से अपनी ताकत लगाते हैं और मुसलमानों का वोट सपा और कांग्रेस में पड़ता है तो लोगों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी का जीतना तय है।

सूत्र यह भी बताते हैं नदीम जावेद दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सपा मुखिया अखिलेश यादव के आसपास ताकत लगा रहे हैं कि यह सीट दोबारा समाजवादी की कांग्रेस के खाते में आ जाए लेकिन गठबंधन नहीं होने की शक्ल में अगर नदीम जावेद चुनाव लड़ते हैं तो एक तरफ उनका कम होता जनाधार एवं दिल्ली प्रदेश का उनसे दूरी बनाना कहीं नहीं भारतीय जनता पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेगा।

देश के बुद्धिजीवियों में इस बात का रोष है कि नदीम जावेद ने जैसे भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई आज उन्हें क्यों धीरे-धीरे हाशिए पर धकेला जा रहा है क्या कांग्रेस भी दूसरी पार्टियों की तरह मुसलमानों से दूरी बनाना चाहती है क्या कांग्रेस इमरान प्रतापगढ़ी जैसा मुसलमान भारत के मुसलमानों को देना चाहती है इस बात से मुसलमानों में कांग्रेस के प्रति गुस्सा धीरे-धीरे फैल रहा है।

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