एसएनसीयू सिक न्यूबार्न केयर यूनिट ने 900 ग्राम वजन तक के शिशु को दिया जीवनदान


(सोहराब)

जौनपुर। कीचड़ में कमल खिलते हैं, इस कहावत को वर्तमान में चरितार्थ कर रहा है जिला महिला चिकित्सालय। एसएनसीयू सिक न्यूबार्न केयर यूनिट डा. संदीप सिंह बाल रोग विशेषज्ञ व नोडल अधिकारी की देख-रेख में पूर्णतः अच्छे व सही ढंग से चल रहा है। बता दें कि इसके पहले इस अस्पताल में प्रसव कराने के नाम पर लोगों के माथे पर बल पड़ जाता था, क्योंकि यहां की व्यवस्थाएं एकदम चरमरा चुकी थीं। जच्चा-बच्चा सुरक्षित नहीं माने जाते थे। लोगों में भ्रांतियां रहीं कि प्रसव के पश्चात शिशु को लेकर बाल रोग विशेषज्ञों के निजी अस्पतालों में भागना पड़ता था जहां परिजनों के धन का विशेष रूप से क्षति होता था लेकिन अब यह अस्पताल आधुनिक मशीनों से लैस हो गया है। एसएनसीयू सिक न्यूबार्न केयर यूनिट वार्ड किसी निजी अस्पताल से कम नहीं है। यहां बीते सितम्बर में 126 नवजात शिशु भर्ती हुये जिसमें से 27 शिशु डेढ़ किलो से कम वजन के थे। उनमें से 24 शिशु पूर्णतः स्वस्थ हैं जबकि सामान्यतः 1800 ग्राम से ढाई किलो तक के शिशु सेफ जोन में माने जाते हैं। 1800 ग्राम के नीचे वाले सेफ जोन में नहीं आते हैं। वह ईएलबीडब्लू इस्टिमली लो बर्थ वेट जोन में होते हैं जिन्हें बचाना एक चुनौती ही नहीं, बल्कि मुश्किल भी होती है परन्तु आज सरकार द्वारा आधुनिकरण एसएनसीयू वार्ड बनाने से अब शिशु के परिजनों का लाखों रुपया बच रहा है। लोग लाभान्वित हो रहे हैं जो जिला अस्पताल की बड़ी उपलब्धि साबित हो रही है। इस बाबत पूछे जाने पर बाल रोग विशेषज्ञ डा. संदीप सिंह ने कहा कि इस यूनिट में कार्यरत स्टाफ पूरी ईमानदारी से अपना कार्य करती है जिसमें डा. प्रदीप यादव जो मेडिकल कालेज से हैं, के साथ विजयलक्ष्मी शर्मा, रेनू श्रीवास्तव, प्रीति सिंह, मंजू सिंह आशा, इंदू चौरसिया, प्रतिभा पाण्डेय आदि का विशेष सहयोग रहता है। बताते चलें कि कुछ लोग जिला महिला अस्पताल की साख को खत्म करने पर आमादा हैं। अन्य ब्लाक क्षेत्रों की आशा कार्यकर्ती व दलाल जो अपना पांव फैला चुके हैं, प्रसव हेतु आयी महिलाओं सहित उनके परिजनों को गुमराह कर उन्हें किसी निजी अस्पताल की राह दिखाने से नहीं चूकते। उसी प्रपंच में पैसा ऐंठ करके अपना उल्लू सीधा करने से बाज नहीं आती। यदि औचक निरीक्षण कराया जाय तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाय। महिला अस्पताल के प्रशासन की पोल खुलकर सबके सामने आ जाय कि किस प्रकार से वृहद रूप से राजस्व व लोगों को क्षति पहुंचा रही है। अस्पताल के नाम पर फर्जी कार्यकत्री बनकर महिला दलाल घूम रही हैं। फिलहाल डा. संदीप सिंह ने बताया कि वर्तमान की व्यवस्था से यहां आने वाले हर मरीज संतुष्ट होकर जाते हैं। प्रसव के बाद किसी भी परिजन को बच्चे को बाहर किसी निजी अस्पताल में भेजने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि यहां का वार्ड पूरी तरह से आधुनिक व्यवस्थाओं से लैस हो गया है जिससे सभी लोग लाभ भी उठा रहे हैं।

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