असहाय व निराश्रित परिवार की मदद करना पुनीत कार्यः मदन मोहन


चौकियां धाम, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र में स्थित मां शीतला चौकियां धाम में श्रीराम कथा के चौथे दिन वाराणसी से पधारे मानस कोविद डा. मदन मोहन मिश्र ने कहा कि दीन-दुखियों की सेवा व रक्षा करना मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म कर्म है जो सभी धर्मों में श्रेष्ठ है। समाज में रहकर पीड़ितों की मदद करना, गरीब बहन-बेटियों की शादी-विवाह में सहयोग करना, भूखे को भोजन कराना, बेसहारों की मदद करना चाहिए। ऐसे कार्य करने वाले लोगों पर परमात्मा की कृपा दृष्टि सदैव जीवन में बनी रहती है। इसी क्रम में जौनपुर के कथा वाचक डा. अखिलेश चंद्र पाठक ने कहा कि भक्त चार प्रकार के होते हैं। जिज्ञासु जानने के लिए पुकारते हैं। आर्त- यह वह भक्त है जो शारीरिक कष्ट आने या धन-वैभव नष्ट होने पर अपना दुःख दूर करने के लिए भगवान को पुकारता है। जिज्ञासु- यह भक्त अपने शरीर के पोषण के लिए नहीं, वरन् संसार को अनित्य जानकर भगवान का तत्व जानने और उन्हें पाने के लिए भजन करता है। अर्थार्थी- यह वह भक्त है जो भोग, ऐश्वर्य और सुख प्राप्त करने के लिए भगवान का भजन करता है। उसके लिए भोगपदार्थ व धन मुख्य होता है और भगवान का भजन गौण। ज्ञानी- आर्त, अर्थार्थी और जिज्ञासु तो सकाम भक्त हैं परंतु ज्ञानी भक्त सदैव निष्काम होता है। ज्ञानी भक्त भगवान को छोड़कर और कुछ नहीं चाहता है, इसलिए भगवान ने ज्ञानी को अपनी आत्मा कहा है। ज्ञानी भक्त के योग क्षेम का वहन भगवान स्वयं करते हैं। इस दौरान चौकियां धाम के सीताराम नाम शरण (व्यास जी) महाराज ने कथा करने आये सभी कथावाचक विद्वानों को अंगवस्त्रम व माल्यार्पण करके स्वागत किया। इस अवसर पर हनुमान त्रिपाठी, नरेंद्र त्रिपाठी, गुड्डू त्रिपाठी, राम आसरे साहू, प्रवीण पंडा, शिवासरे गिरी, अजीत गिरी, राजकुमार यादव, मदन साहू, दीपक राय समेत अनेक लोग मौजूद रहे।

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