पराली जलाने वाले किसान अनुदान से होंगे वंचित


जौनपुर। कृषि विभाग द्वारा गुरुवार को कृषि सूचना तंत्र के सुदृढ़ीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम योजना अंतर्गत विकास खण्ड केराकत एवं डोभी ब्लाक परिसर में रबी गोष्ठी हुई। विशेषज्ञों द्वारा रबी फसलों के बेहतर उत्पादन एवं कृषि विभाग की योजनाओं से किसानों को प्रशिक्षित किया गया गया। उप परियोजना निदेशक कृषि प्रसार डा. रमेश चंद्र यादव ने कहा कि खेतों में फसल अवशेष जलाने से खेत की मिट्टी के साथ वातावरण पर भी दुष्प्रभाव पड़ते हैं। यथा मृदा के तापमान में वृद्धि, मृदा की सतह का सख्त होना, मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की उपलब्धता में कमी एवं अत्यधिक मात्रा में वायु प्रदूषण आदि जैसे नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, इसलिए किसानों को फसल अवशेष खेतों में कदापि नहीं जलाने चाहिए, बल्कि इनका उपयोग मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए करना चाहिए। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पराली जलाना दण्डनीय अपराध धोषित कर दिया है। पराली जलाने वाले किसान सरकारी योजनाओं में मिलने वाली सब्सिडी से बंचित कर दिए जाएंगे। कृषि वैज्ञानिक डा. दिनेश कुमार ने सुपर सीडर से लाईन में गेहूँ की बुआई, उर्वरक प्रबंधन, जल प्रबंधन, खर-पतवार नियंत्रण की जानकारी दी। अध्यक्षता बीडीओ डा. छोटे लाल तिवारी तथा संचालन एडीओ एजी दयानन्द सिंह ने किया। इस मौके पर पूर्व मंडल अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह, सन्ध्या सिंह, प्रवीण चौवे, नीलम, रेखा, रुचि, नन्दनी आदि प्रगतिशील किसान मौजूद रहे। अन्त में एडीओ फसल सुरक्षा अशोक यादव ने सभी के प्रति आभार जताया।

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