ऑनलाइन कारोबार से विदेशी कंपनिया हो रही मालामाल और स्वदेशी छोटे व मझोले व्यापारी हो रहे कंगाल व बदहाल :-इंदु सिंह

ऑनलाइन कारोबार से विदेशी कंपनिया हो रही मालामाल और स्वदेशी छोटे व मझोले व्यापारी हो रहे कंगाल व बदहाल :-इंदु सिंह

ऑनलाइन कारोबार से ऑफलाइन छोटे व मझोले कारोबारियों का व्यापार बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है,बहुतायत में दुकानें और परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।उसपर से कमरतोड़ मंहगाई ने सारी गणित बिगाड़ दी है।
इस पर यदि रोक नही लगाई गई और महंगाई नियंत्रित नहीं की गई तो स्थिति भयावह हो जायेगी।
उक्त बातें उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और जिलाध्यक्ष इंद्रभान सिंह इन्दु ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही है।
इन्दु सिंह ने कहाकि ऑनलाइन व्यापार, 100 प्रतिशत एफडीआई , जीएसटी और जंगल में आग की तरह बढ़ती मंहगाई ने छोटे व मंझोले व्यापारियों के व्यापार को बंद करने पर मजबूर कर दिया है।
सरकारों की गलत आर्थिक नीतियों का खामियाजा व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है।
आज केंद्र और प्रदेश सरकार की गलत नीतियों का और पूंजीवाद का ही परिणाम है की देश के 90 प्रतिशत संसाधनों पर 1 प्रतिशत लोगों का कब्ज़ा है,99 प्रतिशत लोग 10 प्रतिशत संसाधनों में संघर्ष कर रहे है जो संविधान की मूल अवधारणा के विरुद्ध है।
इन्दु सिंह ने आगे कहाकि  प्रतिदिन लगभग 35 प्रतिशत कारोबार ऑनलाइन हो रहा है  जिससे छोटे व मझोले व्यापारियों की व्यवसायिक हत्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है।
जीएसटी में असमानता भी गलत आर्थिक नीति का एक हिस्सा है,इस कारण से भी ऑफलाइन दुकानदारी पर खासा फर्क पड़ रहा है।
इन्दु सिंह ने आगे कहाकि दाल सब्जी से लेकर कपड़ा जूता चप्पल दवाएं,इलेक्ट्रिक व इलेक्ट्रॉनिक सामानों और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी ऑनलाइन ही मंगाई जा रही है,जबकि बड़े पैमाने पर लोगो को ठगी का भी शिकार होना पड़ता है। ऐसे में केंद्र और प्रदेश सरकार से मांग करते है की ऑनलाइन कारोबार को सीमित कर ऑफलाइन कारोबार को बढ़ावा दिया जाए।
उन्होंने कहाकि ऑनलाइन कारोबार के माध्यम से एक ओर जहां स्वदेशी व्यापार बंदी,बदहाली के कगार पर है वहीं विदेशी कंपनियों को काफी लाभ पहुंच रहा है, बेरोज़गारी में भी वृद्धि हो रही है।
व्यापारी नेता ने कहाकि डीजल व पेट्रोल और अन्य उपयोगी सामानों के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि से मंहगाई दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है इस पर भी लगाम लगाई जाए अन्यथा चुनावों में इसका खामियाजा सत्ता सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

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