विप की समिति ने जौनपुर एसटीपी व सीवर कार्य में पाया करोड़ों का घोटाला


जौनपुर। बीते 28 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश विधान परिषद की निगमों व निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाये जाने की समिति की बैठक समिति के सभापति विद्यासागर सोनकर की अध्यक्षता में हुई जहां जौनपुर शहर में नमामि गंगे योजना से बन रहे एसटीपी व अमृत योजना से बन रहे सीवर कार्य में व्याप्त बेहद गम्भीर तकनीकी व वित्तीय भ्रष्टाचार के विषय पर चर्चा हुई। इस आशय की जानकारी देते हुये शिकायतकर्ता गौतम गुप्ता अध्यक्ष स्वच्छ गोमती अभियान ने बताया कि उपरोक्त मामले में समिति की यह तीसरी बैठक थी जिसमें समिति द्वारा अंततः यह पाया गया कि उपरोक्त दोनों कार्यों में उनके द्वारा लगाए गए सभी 8 बिंदुओं की शिकायतें सही हैं। अधिकारियों द्वारा बेहद गंभीर रूप से सभी मानकों को ताख पर रखकर उपरोक्त दोनों प्रोजेक्ट में मनमाने तरीके से ड्राइंग व डिजाइन के विपरीत कार्य किया गया है । साथ ही गुणवत्ताहीन सामग्री का प्रयोग किया गया है। बैठक के दौरान समिति द्वारा पूछे जाने पर उत्तर प्रदेश जल निगम अमृत निदेशालय के निदेशक अनुराग यादव, उत्तर प्रदेश नमामि गंगे के सचिव सुशील पटेल समेत समस्त उच्च अधिकारी किसी भी बिंदु पर कोई संतोषजनक उत्तर देने की स्थिति में नहीं रहे। शिकायतकर्ता श्री गुप्ता द्वारा भी समिति की बैठक में जल निगम व नमामि गंगे के सभी उच्चाधिकारियों पर गम्भीर आरोप लगाये गये जिस पर कोई भी अधिकारी जवाब देने की स्थिति में नहीं था। साथ ही समिति द्वारा उपरोक्त दोनों प्रोजेक्ट से संबंधित डीपीआर के बारे में जानकारी मांगे जाने पर प्रदेश के सभी आला अधिकारी बगले झांकते नजर आये। इस पर समिति ने आपत्ति करते हुए इसे असंतोषजनक मानते हुये कहा कि प्रदेश के आला अधिकारियों को अपने अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बारे में कोई सम्यक जानकारी नहीं है। समिति ने अपनी पिछली बैठक में यह निर्णय दिया था कि प्रत्येक दशा में अगली बैठक के पूर्व जिला प्रशासन जौनपुर इस पूरी शिकायत पर अपनी ओर से एक विस्तृत रिपोर्ट विधान परिषद समिति को प्रस्तुत करेगा जिसके आधार पर प्रथम दृष्टया यह देखा जाएगा कि मामले की असलियत क्या है? बैठक में जिला प्रशासन जौनपुर द्वारा भेजी गई रिपोर्ट की चर्चा हुई जिसमें बताया गया कि उपरोक्त दोनों प्रोजेक्ट में बेहद गंभीर रूप से अनियमितताएं व्याप्त हैं। साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जल निगम द्वारा लगातार जान-बूझकर इस पूरी जांच में असहयोग किया जा रहा है जो गंभीर विषय है। श्री गुप्ता के अनुसार रिपोर्ट को आधार मानकर व उत्तर प्रदेश जल निगम व उत्तर प्रदेश नमामि गंगे के अधिकारियों द्वारा किसी भी बिंदु पर कोई संतोषजनक जवाब न मिलने से समिति ने प्रथम दृष्टया यह निर्णय लिया कि इन दोनों प्रोजेक्ट में गम्भीर रूप से तकनीकी व वित्तीय भ्रष्टाचार किया गया है। प्रदेश के आला अधिकारियों द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने के लिए 2 माह का समय मांगा जा रहा था जिस पर समिति के सदस्य बृजेश सिंह प्रिंशू ने कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए सिर्फ एक माह का समय देने की बात कही। समिति ने उत्तर प्रदेश नगर विकास सचिव व अमृत योजना के निदेशक अनुराग यादव को इस पूरे मामले में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने के लिए एक माह का समय दिया है। यह जांच अनुराग यादव के नेतृत्व में प्रदेश की 4 सदस्यीय उच्च स्तर की कमेटी करेगी जिसमें 3 प्रशासनिक अधिकारी व स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता सदस्य होंगे। इस बीच अनुराग यादव व सुशील पटेल ने समिति को आश्वस्त किया कि सभी दोषी अधिकारी प्रत्येक दशा में दण्डित किये जायेंगे। जांच समिति के अलावा भी जिलास्तरीय समिति बनेगी जिसमें जिला प्रशासन, जल निगम के उच्चाधिकारी, नमामि गंगे के परियोजना प्रबंधक व स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता होंगे। यह समिति शिकायत के सभी बिंदुओं का स्थलीय निरीक्षण करके अपनी रिपोर्ट समिति को सौंपेगी। बैठक में समिति के सदस्य शतरुद्र प्रकाश, ध्रुव त्रिपाठी, संतोष यादव, इं. अवनीश कुमार के अलावा प्रशासनिक रूप से उत्तर प्रदेश नगर विकास की ओर से सचिव अनुराग यादव, विशेष सचिव संजय सिंह यादव, जलशक्ति के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव, सचिव सुशील पटेल, स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता, उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव समेत सभी आला अधिकारी मौजूद रहे।

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