जौनपुर और दीदारगंज के बीच बढ़ी तकरार,हो जाएगा बड़ा खेला

जौनपुर और दीदारगंज के बीच बढ़ी तकरार,हो जाएगा बड़ा खेला
आरिफ़ हुसैनी
जौनपुर । कहते है कि राजनीति में कोई किसी का नही होता कब कौन किसको अपने तरकश का तीर बनाकर इस्तेमाल कर ले कुछ कहा नही जा सकता कुछ ऐसा ही समाजवादी पार्टी के साथ खेल खेलने में जौनपुर में कांग्रेस पार्टी के एक दिग्गज नेता लगे है । कांग्रेस की चाल है कि समाजवादी पार्टी से दूसरे ज़िले का प्रत्याशी आजाये तो कांग्रेस के लिए रास्ता साफ़ हो जाएगा , पर जानकारों का कहना है कि अगर जौनपुर ज़िले के बाहर के किसी मुस्लिम चेहरे को समाजवादी पार्टी प्रत्याशी बनाती है तो इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मंत्री गिरीश यादव को होगा और वो आसानी से सदर विधानसभा से चुनाव जीत जायेगे ।
समाजवादी पार्टी से जौनपुर सदर से लगभग 42 से ज्यादा लोगों ने प्रत्याशी बनाए जाने के लिए आवेदन किया था जिसमें मुख्य रूप से पूर्व विधायक अरशद खान , नासिर खान , जावेद सिद्दीकी , राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक जामेई , इस्तकबाल कुरैशी ने मजबूती से मजबूती से दावेदारी किया । लेकिन बदलते समीकरण को अगर देखा जाए तो सपा में लोगो की पसंद राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक ‌जामेई है, निर्विवाद है, शिक्षित सेकुलर है सामाजिक न्याय की समझ और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नजदीक है , और लोकल है, वो विधायक बनते है तो जौनपुर में विकास की गति तेज़ होगी । वो प्रोजेक्ट डायरेक्ट ला सकते है, जनता तेज तर्रार नेता चाहती है जो विधानसभा में बोलने की ताकत रखता हो ।
मुस्लिम वर्ग से पूर्वांचल में गोपालपुर विधायक नफीस अहमद और अमीक जामेई दो ही नेता है जो विश्विद्यालय की साफ सुथरी छात्र राजनीत से आए है । चर्चा है की दीदारगंज से आदिल शेख को लाया जा सकता है लेकिन अगर दीदारगंज से वो सदर विधानसभा आते है तो बगैर उनके दीदारगंज में रहते मुसलमान पप्पू राजभर को वोट नही देंगे इससे दीदारगंज भी सपा हार सकती है । इसलिए सपा आदिल शेख या पप्पू राजभर को एमएलसी भेजे, सदर जौनपुर के लोगो के पास 10 साल से उनका सपा का अपना विधायक नही है । इस बार जब यह मौका है की उनका अपना लोकल विधायक हो । 9 विधानसभा में हर वर्ग के पढ़े लिखे तजुर्बे वाले दिग्गज विधायक है तो एक सदर विधानसभा के साथ ऐसी गणित क्यू की किसी गैर राजनीति आदमी को टिकट के लिए माहौल बनाकर लूंज पुंज कमज़ोर विधायक देने की बात चल रही है ।
जौनपुर की मांग साफ है की कांग्रेस के नदीम जावेद जैसे साफ सुथरी छवि के सामने और बीजेपी के गिरीश यादव मंत्री के सामने अगर कोई वैचारिक, ताकतवर राजनीतिक व्यक्ति टिक सकता है हर स्तर पर मुकाबला कर सकता है तो वो अमीक ‌जामेई है जिन्हे हर वर्ग जाति के लोग आज पसंद कर रहे है ।
जौनपुर में पूर्व विधायक नदीम जावेद का वर्चस्व समाप्त हो चुका था उनके नजदीकी उन्हे चुनाव न लड़ने की सलाह दे रहे थे इस बीच सूत्र कहते है कि नदीम जावेद की ख्वाहिश है की अमीक जामेई के सामने अगर आदिल शेख लड़ते है तो उनके बाहरी होने के नाम पर वो लोकल के नाम पर जनमत को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो सकते है, इस गणित में आदिल शेख अगर जौनपुर आते है तो दीदारगंज से मुसलमान बसपा में जा सकता है, आदिल शेख के आने पर जहा अमीक ‌जामेई और अन्य संभावित लोकल कैंडिडेट निपट जाएंगे कांग्रेस के नदीम के आने से सपा भी चुनाव हारेगी ऐसे में बीजेपी के गिरीश यादव भारी वोटो से चुनाव जीतने में कामयाब होंगे और तीन मुस्लिम नेता हार का सामना करेगा ।
वक्त की नज़ाकत है कि दीदारगंज के पप्पू राजभर और आदिल शेख के बीच एमएलसी और विधायक सीट में सहमति बने, सदर से किसी मजबूत कैंडीडेट को सपा के मुखिया नदीम जावेद और भाजपा के गिरीश यादव के सामने उतारे तो कम से कम दो सीटो पर सपा कब्जा कर सकती है ।
लेकिन आदिल शेख की दावेदारी के सामने समाजवादी पार्टी के गठबंधन की वाइल्ड कार्ड एंट्री सदर जौनपुर में हो सकती है । ऐसा माना जा रहा है कि बाहुबली मुख्तार अंसारी अपने बेटे अब्बास अंसारी को सुभासपा से चुनाव लड़ाने की ख्वाहिश रखते हैं । जौनपुर सदर की सीट पर अगर बाहरी किसी को मौका मिलता है इसमें सबसे ऊपर अब्बास अंसारी का नाम लखनऊ में चर्चा का विषय है , आदिल शेख के लिए कही देर न हो जाए या यू कहा जाए न सनम मिला न विसाल ए सनम ।
इस घटना पर लोगो में बहस है कि इस पटकथा का लेखक जो भी हो लेकिन यह तय है कि आदिल शेख, नदीम जावेद और अमीक जामेई का राजनीतिक जीवन खूटी पर टंगा है, वैसे ही जब मुसलमानों की भागीदारी विधानसभा में हाशिए पर है यह तय है की इस रणनीति से मुसलमानों का कोई भविष्य प्रतिनिधित्व के मामले में नही देखने की उम्मीद है ।

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