तीन दिवसीय 55वां निरंकारी सन्त समागम सम्पन्न


प्रभु की इच्छा को सर्वोपरि मानना ही शाश्वत आनन्द की प्राप्तिः सतगुरू जी
जौनपुर। शाश्वत आनंद की निरोल अवस्था को निरंतर कायम रखने के लिए प्रभु इच्छा को सर्वोपरि मानना होगा।“ उक्त बातें वर्चुअल रूप में आयोजित तीन दिवसीय 55वें वार्षिक निरंकारी संत समागम समारोह में सतगुरू माता सुदीक्षा ने कही। यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही। उन्होंने बताया कि सतगुरु माता के आशीर्वाद के साथ ही इस तीन दिवसीय संत समागम का सफलतापूर्वक समापन हुआ। समागम का सीधा प्रसारण मुंबई के चेंबूर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन से मिशन की वेबसाइट सहित एक टीवी चैनल पर किया गया जिसका आनंद विश्वभर के लाखों श्रद्धालु भक्तों ने प्राप्त किया। समागम के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण ’बहुभाषी कवि सम्मेलन’ रहा जिसका शीर्षक- “श्रद्धा भक्ति विश्वास रहे, मन में आनंद का वास रहे था। इस विषय पर मराठी, हिंदी, पंजाबी, कोंकणी, अहिराणी, भोजपुरी, गुजराती सहित अन्य भाषाओं में कुल 18 कवियों ने कविताओं के माध्यम द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। सन्त समागम के समापन पर सतगुरू माता के दिव्य प्रवचनों द्वारा सभी श्रद्धालुओं ने विश्वास भक्ति का आनंद की अनुभूति प्राप्त की।

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