तो क्या जौनपुर में बदल सकता है सियासी समीकरण


तो क्या जौनपुर में बदल सकता है सियासी समीकरण

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022-:यूपी पश्चिम से शुरू हुए विधान सभा चुनाव की आहट अब पूर्वांचल में दस्तक दे चुकी है।सड़कों पर निकलें तो लगभग सभी सियासी दलों के नेता दल बल के साथ गांव की गलियों की खाक छानते मिल ही जायेंगे।सभी दलों की एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी जोर शोर से जारी है और एक दूसरे को खुद से बेहतर बताने की हर कवायद की जा रही है।जनता भी फिलहाल नेताओं के पसीने छुड़वाने में कोई कसर नही छोड़ रही है।

इसी क्रम में ऐतिहासिक धरोहरों से सजा जनपद जौनपुर भी लगातार चर्चा में बना हुआ है।जौनपुर की कुल 9 विधान सभ में से सदर की सीट हमेशा से हॉट सीट मानी जाती है।एक तरफ भाजपा के वर्तमान विधायक एवं मंत्री गिरीश यादव दुबारा विजय पताका फहराने में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं तो सपा के अरशद खान भी अखिलेश यादव की लहर को ढाल बना कर मैदान में हैं।कांग्रेस के नदीम जावेद भी अपनी साख बचाने के लिए गाड़ियों के लंबे काफिले दिखा कर जनता को लुभाने और आकर्षित करने के हर तरीके आजमा रहे हैं मगर इन तीन प्रत्याशियों के बीच सलीम खान जो जातीय समीकरणों में एक मुश्त दलित वोट बैंक के आधार पर सबसे मजबूत प्रत्याशी के तौर पर हैं एक बड़ी खामोशी के साथ गांव गांव गली गली एक एक लोग से मिल कर समर्थन मांग रहे हैं जिसका असर अब दिखाई देने लगा है।मुस्लिम बहुल सीट मानी जाने वाली जौनपुर की सदर सीट पर तीन तीन मुस्लिम प्रत्याशी आने के बाद मुस्लिम मतदाता जो कश्मकश में थे अब वो सलीम खान के सबसे मजबूत दलित वोट बैंक को देखते हुए बसपा की तरफ रुख करने की सुगबुगाहट कर रहे हैं।

दरअसल समीकरणों के आधार पर भी बसपा के सलीम खान को सबसे मजबूत दावेदारी के रूप में इसलिए देखा जा रहा है की दलित वोट बैंक भी बड़ी संख्या में है।ऐसे में अगर मुस्लिम समाज का ठीक ठाक तबका भी सलीम खान की तरफ झुका तो वर्तमान भाजपा विधायक एवं मंत्री गिरीश यादव की कुर्सी खतरे में आ सकती है।सलीम खान साफ सुथरी छवि के नेता भी हैं जिसकी वजह से जनता के बीच सलीम खान की चर्चा होना शुरू हो गई है।एक तरफ सपा के अरशद खान और कांग्रेस के नदीम जावेद शहर में हंगामे कर रहे हैं लेकिन वहीं बीजेपी के गिरीश यादव और और बसपा के सलीम खान देहात के वोटरों के बीच पहुंच रहे हैं।पिछले चुनाव के आधार पर देखा जाए तो इस बार स्थित 2012 जैसी बन रही है यानी की 65000-7000 वोट पाने वाले प्रत्याशी के सर जीत का सेहरा बंध सकता है।इस आधार पर बीजेपी,सपा,बसपा और कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों के मूल वोट पर गौर करें तो सबसे ज्यादा वोट सलीम खान के खाते में है।इस तरह अगर मुसलमानों का रुख अगर सलीम खान की तरफ 7 मार्च तक बूथ पहुंच गया तो भाजपा बसपा की सीधी टक्कर से इंकार किया ही नहीं जा सकता।

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