मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे-स्वर कोकिला लता जी नही रहीं =श्रद्धांजलि अर्पित ....


भारत ही नहीं दुनियाभर में सोहरत पाने वाली, करोड़ों दिलों पर राज करने वाली ,अपनी सुरीली आवाज़ से मंञमुग्ध व मदहोश कर देने वाली हजारों हजार गीत-गजल गाने के पश्चात एक अमिट छाप छोड़ कर हमारे बीच से चली गईं सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी।                           28 सितंबर 1929 को एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में संगीत एवं नाटकों का मंचन करने वाले पं दीनानाथ मंगेशकर के पुञी के रूप में जन्म लिया था। अपने पिता के साथ 05 वर्ष की आयु से ही गायन-अभिनय की शुरुआत करके 13 वर्ष की आयु में पिता को खोने के बाद छोटी बहन आशा जी के साथ साथ पुरे परिवार की जिम्मेदारी इनके कंधे पर आ गई। 1945 में मुम्बई  जाना और 1949 में उनकी पहली गीत फिल्म "महल"की -"आयेगा आने वाला.....हिट हुई थी।             1962 में एक तरफ- उन्हें ज़हर दिया जाना, और कुछ महिने के संघर्ष एवं इलाज से स्वस्थ होना तथा दुसरी तरफ- देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में सहिदों की श्रद्धांजलि सभा में लता जी द्वारा --"" ऐ मेरे वतन के लोगों ....जैसी मर्मस्पर्शी गीत प्रस्तुत करके केवल उपस्थित जनों को ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नेहरू को आंखों में आंसू भरने के लिए मजबूर कर दिया था। फिर तो क्या था ! कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके यादगार गानों में --तू जहां जहां चलेगा मेरा साया साथ होगा........,, रहें ना रहें हम महका करेंगे..........,,,तेरा मेरा प्यार अमर- फिर क्यूं मुझको लगता है डर........,,,,ऐ मालिक तेरे बंदे हम..........,,,,, सहित भावपूर्ण अमर संदेश के साथ--मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे , नाम भूल जायेगा-चेहरा ये बदल जाएगा.... जैसे अमिट संदेशभरे आवाज के साथ अब सरस्वती की बर्दहस्तप्राप्त लता जी बसंत पंचमी के अगले दिन 06 फरवरी 2022 को प्रातः 08.12 बजे अंतिम सांस ली। भारत ने राष्ट को समर्पित एक तपस्वी ब्यक्तित्व को खो दिया है। सम्पूर्ण राष्ट्र गमगीन माहौल में श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। ओम् शान्ति शान्ति शान्ति...                                  डॉ अखिलेश्वर शुक्ला, विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, राजा श्री कृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर,(उप्र)222001

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