होली का त्योहार आया!
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होली का त्योहार आया,
मन में नई उमंगे लाया ।
तन मन में हम सब के;
नई - नई तरंगें जगाया।।
घर- बाहर छाई हरियाली,
प्रकृति में जैसे मची दिवाली!
खेत- खलिहानों में चारों ओर;
नई फसलों का दिखता है जोर।।
आम्र मंजरियों की खुशबू फैली,
खुशहाली दिखती गांव- गली !
गेहूं सरसों आलू धनिया ने देखो,
भींनी- भींनी खूब खुशबू फैलाई!!
चना मटर से देखो घर सब भर गए,
किसान मजदूरों के चेहरे खिल गए!
शहरी-गंवई के तन- मन में मुस्कानें;
'रंग- तरंग' उमंगों से सब के भर गए।।
पेड़ों पर चिड़ियां चूं- चूं चीं-चीं बोलीं,
अमवा की डरियन पर कोयल बोली।
कु- कू कू-कू कू-कू की मादक बोली,
तन मन में सदा घोलती खूब रंगोली।।
गेंदा ! गुलाब खिले चारों ओर हैं पलाश,
तितली भंवरे करते परागकणों की तलाश।
गौरैया गिलहरी लगीं पेड़ों पर खूब फुदकने;
मौसम में चारों ओर मच गया है हर्षोल्लास!
बच्चे बूढ़े जवान! युवती-नव यौंवनाओं के ,
रग- रग में छायी 'रंग- उमंग'- तरंग निराली!
शीतल मंद सुगंधित वायु बहने लगी मतवाली,
फागुन मौसम में छाईं चेहरों पर सब के लाली।।
-----शैलेन्द्र कुमार मिश्र, प्रधानाचार्य
सेंट थॉमस इंटर कॉलेज,शाहगंज,जौनपुर,यूपी।
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