पात्र महिला को प्रधानमंत्री आवास के नाम पर केवल दौड़ा रहे विभागीय अधिकारी


महिला को कोड जारी होने के बाद दूसरे को देकर विभाग ने दिलवा दिया सारा पैसा
जौनपुर। नगर क्षेत्र की एक ऐसी पात्र महिला जिसे डूडा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी विगत 4 वर्षों से चक्कर लगवा रहे हैं। आरोप है कि शहरी आवास विकास योजना अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास के नाम पर विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा पात्र महिला का पास आवास किसी अन्य व्यक्ति को देने के नाम पर लापरवाही बरती जा रही है। बताते चलें कि नगर क्षेत्र स्थित जीतापट्टी की सीमा सेठी ने आवास हेतु अपना आवेदन सन् 2018 में किया था जिसका आवास बनने हेतु विभागीय निरीक्षण होने के बाद उनका आवास पास भी हो गया। इसके उपरांत विभाग द्वारा कोड भी उनके मोबाइल पर आ गया किन्तु विभागीय लापरवाही इस कदर दिखाई दी कि उक्त पात्र महिला का पास आवास का कोड किसी अन्य व्यक्ति के नाम करते हुए उक्त व्यक्ति का आवास बनवा दिया गया। यह कहीं न कहीं विभाग द्वारा घोर लापरवाही है जिसके फलस्वरूप आज तक उक्त महिला को विभाग द्वारा आवास के नाम पर केवल चक्कर लगवाया जा रहा है। इस बाबत पूछे जाने पर सीमा सेठी ने बताया कि विभाग में जाने के बाद कर्मियों द्वारा बताया गया कि यदि आवेदक द्वारा आवास के लिये आवेदन करने वाले मुखिया की यदि मृत्यु हो जाती है तो उसका कोड किसी अन्य पात्र को दे दिया जाता है किन्तु हैरत की बात यह है कि आवेदिका खुद आवास के लिए आवेदन की थी जबकि आवेदिका का मुखिया उसका पति अभी जीवित है, उसके यहां किसी की भी मृत्यु नहीं हुई हैं तो आखिर क्यों विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा आवेदिका को ऐसी बातें बोल कर गुमराह किया जा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से पात्र महिला का पास हुआ आवास जिसका कोड भी महिला के फोन पर आ गया था, उसी कोड संख्या पर पप्पू लाल वैश्य निवासी सैय्यद अलिपुर हरखपुर नामक व्यक्ति को किसी लाभ हेतु आवंटित किया गया है जो सोचनीय विषय है जिसकी जांच अति आवश्यक है। बड़ी हैरत की बात यह है कि उक्त पात्र महिला का आवास पास होने के उपरांत उसके फोन पर कोड आने के बाद भी विभाग द्वारा बड़ी लापरवाही के दौरान किसी अन्य को कोड पर आवास पास करते हुए धड़ाधड़ उक्त व्यक्ति का पूरा किस्त विभाग की कृपा दृष्टि से पास हो गया। उसका आवास बनकर तैयार भी हो गया। इतना ही नहीं, विभाग द्वारा अविलम्ब फोटो भी सीन करा दिया गया। यदि ऐसे ही विभाग अन्य पात्रों के साथ फूर्ति दिखाता तो प्रदेश सरकार के मंसूबे में चार चांद लग जाता। बता दें कि शहरी आवास योजना अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बहुतेरे ऐसे लोग हैं जो योजना के पात्र ही नहीं हैं, फिर भी विभाग की असीम कृपा से उन्हें पात्र घोषित करते हुए उन्हें योजना का लाभ आवास के रूप में दिया गया जबकि वास्तविकता में बहुत से ऐसे पात्र पीछे ही रह गये जो सही मायने में पात्र हैं। प्रदेश सरकार से एक सवाल यह है कि क्या बुलडोजर के अलावा उन गरीबों के बारे में भी सरकार गहराई से सोचेगी जिसके लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार गरीब पात्रों हेतु प्रधानमंत्री आवास का लाभ देने का वीणा उठाये है। वहीं दूसरी तरफ विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किस मंशा से बिना जाचोपरांत झट से आवास आवंटित करते हुए निर्माण करा रहे हैं। वास्तविक में जो भी आवास पास हुए हैं, उनमें से बहुतेरे पात्र हैं ही नहीं जो जांच का विषय है। यदि सही मायने में योजना के आवंटित आवास की जांच की जाय तो दूध का दूध और पानी का पानी निकलेगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ऐसे लोग कहीं न कहीं प्रदेश सरकार द्वारा चलाये गये प्रधानमंत्री आवास योजना अभियान को तार-तार करने में जुटे हैं।

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