तपती धूप में भी कम नही हो रहे रोज़ेदारों के हौसले : फ़ाज़िल सिद्दीकी


तपती धूप में भी कम नही हो रहे रोज़ेदारों के हौसले : फ़ाज़िल सिद्दीकी
जौनपुर । रमजानुल मुबारक बहुत ही पवित्र और मुबारक महीना है। इस महीने में अल्लाह जन्नत के दरवाज़े खोल देता हैं और जहन्नम के दरवाज़े को बंद कर देता है । यह महीना बहुत ही बरकतों और रहमतों वाला महीना है। मुस्लिम समाज में बरकत एवं रहमतों से भरे माह रमजान को लेकर न केवल बड़ों में बल्कि बच्चों में भी उत्साह और उमंग है।
युवा समाजसेवी फ़ाज़िल सिद्दीकी ने बताया कि इस वर्ष तपन भरी धूप एवं लंबे रोजे के बावजूद रोजेदारों के उत्साह, उमंग और इबादत में कोई कमी नहीं आई। इस माह का पहला अशरा रहमत है, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नम से छुटकारा कहलाता है। जब रमज़ान की पहली रात होती है, तो शैतान को कैद कर दिया जाता है। रमज़ान के शाब्दिक अर्थ होता है झुलसा देने वाला यानी अल्लाह ताला अपने फजल से बंदों के गुनाह को झुलसा (जला) देते हैं। रमज़ान के पूरे महीने में तमाम बालिग मर्द और औरत पर एक महीना का रोज़ा फर्ज करार दिया गया है।


शहर की विभिन्न छोटी बड़ी मस्जिद में भी रोजेदारों ने रोजा इफ्तार कर मुल्क व सूबे में खुशहाली की दुआ की जा रही। रोजे रखने वाले सुबह उठकर सहरी करते है। वहीं दिन भर नमाज, कुराने पाक की तिलावत में गुजार रहे है। 

Post a Comment

0 Comments