कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में किसानों को किया गया जागरूक


केराकत, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के अमिहित में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र पर मंगलवार को केंद्र के नवनिर्मित सभागार में आत्मा योजनांतर्गत कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में किसानों को खरीफ की फसल को वैज्ञानिक तरीके से करने के लिये जागरूक किया गया। कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किसानों के हित में चलायी जाने वाली योजनाओं के बारे में बिंदुवार किसान मेले में आये किसानों को बताया गया। पशुपालन, मत्स्य पालन करके किसानों की दशा व दिशा सुधारने के लिए वैज्ञानिक विधि और तकनकी को उपयोग करने जैसी बातों पर चर्चा किया गया। मृदा के लगातार दोहन से उसमें उपस्थित पौधे की बढ़वार के लिये आवश्यक तत्व नष्ट होते जा रहे हैं। इनकी क्षतिपूर्ति हेतु तथा मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने के लिये हरी खाद एक उत्तम विकल्प है। बिना गले-सड़े हरे पौधे (दलहनी सहित अन्य फसलों अथवा उनके भाग) को जब मृदा की नाइट्रोजन या जीवांश की मात्रा बढ़ाने के लिये खेत में दबाया जाता है तो इस क्रिया को हरी खाद देना कहते हैं। हरी खाद के उपयोग से न सिर्फ नाइट्रोजन भूमि में उपलब्ध होता है, बल्कि मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा में भी सुधार होता है। वातावरण तथा भूमि प्रदूषण की समस्या को समाप्त किया जा सकता है लागत घटने से किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है, भूमि में सूक्ष्म तत्वों की आपूर्ति होती है साथ ही मृदा की उर्वरा शक्ति भी बेहतर हो जाती है। इस अवसर पर संध्या सिंह, पटक सहायक शरद पटेल, डा. वीके सिंह, केपी सिंह, मनीष शर्मा, खण्ड तकनीकी प्रबन्धक महीप श्रीवास्तव, डा. दिनेश कुमार, वरुण कुमार, प्रदीप, पशु चिकित्साधिकारी डा. महेंद्र सिंह समेत तमाम महिला पुरुष किसान उपस्थित रहे।  कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डा. संजीत कुमार और संचालन डा. विजय सिंह ने किया।

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