विख्यात अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ रोबिन सिंह ने हड्डी रोग से बचने की दिया जानकारी

जौनपुर जनपद के चर्चित अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ रॉबिन सिंह ने दी हड्डी रोग से बचने की जानकारी


आइए अब हम डॉक्टर रॉबिन सिंह के द्वारा जानते हैं कि हम अपने हड्डियों को कैसे सलामत रख सकते हैं

ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी में हड्डियां भुरभरी और अतिसंवेदनशील हो जाते हैं इस कारण हड्डियों का पर हल्का दबाव पड़ने या हल्की चोट लगने पर भी वह टूट जाती हैं आइए जानते हैं कि इसके चपेट में कौन आते हैं और इससे निपटने का तरीका क्या है  डॉ. रॉबिन सिंह

 कौन आते हैं चपेट में
   यह रोग महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक पाया जाता है और इसका प्रमुख कारण यह है कि रजोनिवृत्ति के पश्चात एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने लगती हैं जिसकी वजह से शरीर के हड्डियों के द्रव्यमान में कमी आ जाती है जिन महिलाओं में हड्डियों के तेजी से घिसने की संभावना है वे है:

👉जिनकी रजोनिवृत्ति 45 वर्ष की उम्र से पहले हुई थी
👉जिनका ऑपरेशन द्वारा बच्चेदानी में अंडा से निकाले गए हो
👉जिनका लंबे समय से रक्तस्राव ना हुआ हो
👉 निसंतान हो
डॉक्टर सिंह के अनुसार कुछ कारण ऐसे भी हैं जिनकी वजह से चाहे पुरुष हो या महिला किसी को भी यह बीमारी होने की संभावना होती है
👉जिनके परिवार में पहले ही ऑस्टियोपोरोसिस हो चुका हूं
👉व्यायाम का भाव अभाव हो
👉भोजन में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन डी की कमी
👉धूम्रपान या फिर अधिक कॉफी का सेवन
👉ज्यादा चलते-फिरते ना हो
👉लंबे अंतराल तक स्ट्राइड्स या थायरोक्सिन का सेवन
👉हार्मोन संबंधित रोग ऐसे थायराइड या फिर गुर्दे आदि बीमारियों से ग्रसित होना

आइए हम ना डॉ. रॉबिन सिंह के अनुसार जानते हैं क्या है इसके लक्षण
हड्डियों के घिसने का कोई विशेष लक्षण नहीं होता, इसका पता तभी चलता है जब किसी हड्डी में फैक्चर होता है इसके कारण अधिकतर कलाई कूल्हे एवं रीड की हड्डी का फ्रैक्चर होता है। रीड की हड्डी का फ्रैक्चर कभी-कभी कमर दर्द के रूप में चलता रहता है कई बार लक्षणों के अभाव में रीढ़ की हड्डी की विकृति उत्पन्न होने पर ही उसका पता चलता है। रोगी की पीठ झुकती चली जाती है पेट में कुबड़ निकल आता है तथा लंबाई कम हो जाती है कुछ रोगियों में नसों पर दबाव बढ़ने के कारण लकवा होने तक की आशंका होती है ,एक सिरे से ओस्टियोपोरोसिस का पता चलता है जब हड्डी लगभग आधी खोखली हो चुकी होती है लेकिन अब बोन डेंसिटोमीटर की बदौलत प्रारंभिक अवस्था में ही इसका पता लगाना संभव हो गया है।

कैसे बचें
डॉक्टर सिंह के अनुसार सक्रिय जीवन शैली अपनाकर ही इसको रोका जा सकता है ,अपने दैनिक आहार में कैल्शियम, विटामिन डी एवं प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें साधारण भोजन में प्रतिदिन 11 से 14 वर्ष तक 12 मि ग्रा कैल्शियम तथा 25 से 45 वर्ष तक 1000 मि ग्रा नियमित व्यायाम जैसे तेज चलना तैरना व साइकिल इन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। कैल्शियम की दैनिक जरूरत को पूरा करने के लिए स्किम्ड मिल्क, दही ,पनीर , पत्ता गोभी हरी सब्जियां व मूली  प्रचुर मात्रा में लें। धूम्रपान और मदपान से बचें। काफी का सेवन अधिक ना करें ,अनावश्यक दवाओ और हारमोनो का प्रयोग ना करें ।
 
दवा
अत्याधुनिक दवाएं कैल्शियम साइट्रेट ,एलेंड्रोनेट ,राइसड्रोनेट (एक्टोनेल),इबैंड्रोनेट 
ज़ोलेड्रॉनिक एसिड   सालमोन कैल्सीटोनिन  आदि ,अब भारत में भी उपलब्ध है जो इसके रिवर्सल में सक्षम है डॉक्टरी सलाह के अनुसार इन दवाओं के उपयोग से रोगी स्वस्थ हड्डियां प्राप्त कर दर्द रहित ,फ्रैक्चर रहीत वृद्धावस्था व्यतीत कर सकता है। और अब तो जोलाड्रोनीक  एसिड नामक एक इंजेक्शन भी आते हैं जिसका 5 मिलीग्राम का एक इंजेक्शन ले लेने से पूरे 1 साल तक ओस्टियोपोरोसिस से होने वाले फैक्चर से बचा जा सकता है।

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