निकाय चुनाव संबंधी बड़ी खबर



उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया। 
     सूबे के नगर निकायों के क्षेत्र का परिसीमन तेजी से चल रहा है और सीटों के आरक्षण पर मंथन चल रहा है। 
    इसी साल आखिर में होने वाले शहरी क्षेत्र के निकाय चुनाव को 2024 का सेमीफाइल भी माना जा रहा है क्योंकि इसके बाद सीधे लोकसभा का चुनाव होना है। ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी से लेकर विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
     राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी एसके सिंह ने बताया कि इसी साल दिसंबर तक शहरी क्षेत्र के नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत के चेयरमैन और वार्ड पार्षद का चुनाव होना है। ऐसे में निकाय चुनाव के लिए 15 नवंबर के बाद किसी भी दिन अधिसूचना जारी हो सकती है लेकिन इसके लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है।
       सरकार को तय करना है कि नोटिफिकेशन कब जारी किया जाएगा। एसके सिंह ने बताया कि निकाय चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग पहले सरकार को अधिसूचना के लिए प्रस्ताव भेजती है और तब सरकार अधिसूचना जारी करती है। हालांकि अभी तक राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से निकाय चुनाव कराने के संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है क्योंकि अभी राज्य सरकार नए नगर पंचायतों के गठन के साथ ही नगर निकायों की सीमा के विस्तार के कार्यों को करने में लगी हुई है। 
      ऐसे में जब सरकार अपना यह कार्य पूर्ण कर लेगी तो फिर उसके बाद राज्य नर्वाचन आयोग उस आधार पर वोटर लिस्ट तैयार करेगी, जिसमें लगभग डेढ़ महीने का समय लग सकता है।
       राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी एसके सिंह बताते हैं कि फिलहाल आगामी 15 नवंबर के बाद राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजेगा। ऐसे में सरकार अगर मंजूरी देती है तो फिर चुनाव का ऐलान किया जा सकता है। ऐसे में नगर निकाय के चुनाव कराने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तैयारियां शुरू कर दी है। वह लगातार सरकार द्वारा नए नगर पंचायतों के गठन और नगर निकाय सीमा के विस्तारों पर नजर बनाए हुए है और नई नगर पंचायतों की सूची इकट्ठा कर रही है ताकि आने वाले समय में वोटर लिस्ट बनाने में कम समय लगे। 
      नगर निकाय सीटों के विस्तार के बाद नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के चेयरमैन और वार्डों के आरक्षण का कार्य किया जाना है। आरक्षण का प्रावधान राज्य सरकार करती है, जिसमें ओबीसी, एससी, एसटी और सामान्य सीटों का आरक्षण होना है। इसके अलावा महिलाओं की लिए भी सीटें आरक्षित की जानी है। एसके सिंह ने बताया कि निकाय सीटों के आरक्षण का काम सरकार को करना है। जिसके लिए जनसंख्या को आधार बनाया जाता है। ऐसे में पहले एसटी समुदाय की जनसंख्या का फिगर आउट किया जाता और फिर उस क्षेत्र में कितनी सीटें आती है उसका मूल्याकंन किया जाता है और फिर आरोही क्रम में रखते और तब जाकर आरक्षण तय होता है। सरकार इसी फॉर्मूले पर नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका के चेयरमैन और वार्ड सीटों का आरक्षण तय करती है। इस तरह जिस क्षेत्र में जिस जाति की जनसंख्या ज्यादा होती है उसे उसके लिए रिजर्व कर दिया जाता है। हालांकि आरक्षण को लागू करने के लिए जो प्रावधान है उसमें रोटेशन प्रक्रिया का भी पालन करना पड़ता है। राज्य निर्वाचन आयोग के ओएसडी सिंह ने उदाहरण के तौर पर बताया कि सूबे के 25 नगर पंचायतों में अनुसूचित जाति की जनसंख्या ज्यादा है तो उसी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी जाएगी। इसी तरह से दूसरी नंबर जिस जाति की जनसंख्या होती है उसी उसके लिए रिजर्व कर दी जाएगी। सीटों के आरक्षण तय होने के बाद चुनाव का रास्ता साफ हो जाता है। गौरतलब है कि यूपी में 2017 में हुए निकाय चुनाव में 2011 की जनगणना के आधार पर आबादी के मुताबिक वार्डों के गठन और जातिवार जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का फार्मूला तैयार किया गया था। हालांकि इस बार स्थिति में काफी बदलाव है। अधिकारी नए नगर निकायों के गठन और सीमा विस्तार के बाद की स्थिति को देखते हुए वार्डों के परिसीमन और आरक्षण के नये फार्मूले पर विचार कर रहे हैं। सरकार ने इस बार नगर निकाय के लिए वार्डों का निर्धारण भी तय कर रही है। ऐसे में नगर पंचायत में कम से कम 10 वार्ड रखे जाएंगे जबकि अधिकतम 24 वार्ड रह सकते हैं। नगर पालिका क्षेत्र में कम से कम 25 और अधिकतम 56 वार्ड निर्धारित करने पर जोर दिया जा रहा है। नगर निगम के लिए न्यूनतम वार्ड संख्या 60 और अधिकतम 110 रखने की प्लानिंग। इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद नगर विकास विभाग के स्तर पर निकायों के स्वरूप में बदलाव की योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा। साल 2017 में 652 नगर निकायों में चुनाव हुए थे। वहीं 2022 में 734 नगर निकायों में चुनाव होंगे। इस प्रकार पिछले पांच वर्षों में 82 नए नगर निकाय बढ़ गए हैं। 2017 में 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका और 438 नगर पंचायतों में चुनाव कराए गए थे। वहीं, इस बार 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 517 नगर पंचायतों में चुनाव कराए जाएंगे।‌ इन तमाम नगर निकायों में वार्डों का परिसीमन से लेकर आरक्षण रोस्टर तक को अंतिम रूप देने का कार्य हो रहा। इसके बाद वार्ड पार्षद से लेकर नगर पंचायत एवं नगर पालिका के अध्यक्ष और नगर निगम के मेयर पद के आरक्षण तय किया जाना है। इसके बाद ही चुनाव की घोषणा की जाएगी। एके सिंह के मुताबिक परिसीमन पूरा होने के बाद इसी माह अगस्त से सितम्बर के बीच वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण होगा। इसके बाद नंवबर में अधिसूचना जारी कर नंवबर-दिसंबर के बीच चुनाव करवाने की योजना बनायी जा रही है।

Post a Comment

0 Comments