बनारस में घाटों से नीचे उतरने लगी गंगा, कीचड़ और दुर्गंध से बढ़ी दुश्वारियां





वाराणसी।

               गंगा के जलस्तर में लगातार घटाव जारी है। घाटों से गंगा का जलस्तर अब धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा और अपने पीछे दुश्वारियां भी छोड़ता जा रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर रात आठ बजे 67.68 मीटर दर्ज किया गया। बाढ़ बुलेटिन के अनुसार गंगा के जलस्तर में छह सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गिरावट हो रही है।शनिवार को सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 68.23 मीटर दर्ज किया गया। सुबह से ही छह सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से जलस्तर में कमी हो रही थी।


गंगा के साथ ही वरुणा का पानी भी तेजी से नीचे उतरने से तटवासियों में राहत है। हालांकि लौटता पानी अपने पीछे गंदगी व दुर्गंध की दुश्वारियां छोड़ रहा है। पानी का दायरा कम होने से सड़कों, गलियों और गंगा घाटों पर कीचड़ दिख रहा है। वहीं, रिहाइशी इलाकों में पानी गड्ढों में एकत्र होने से वहां मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। साथ ही दुर्गंध भी बढ़ गई है। पानी सड़कों से पीछे खिसक चुका है लेकिन घाटों की सीढ़ियां और शवदाह के प्लेटफार्म अभी भी डूबे हुए हैं। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अभी भी शवों के दाह संस्कार की समस्या बनी हुई है। दूसरी ओर ढाब इलाके में खेतों से पानी पीछे हटने लगा जिससे पानी से खराब हो चुकी फसलों से बदबू उठने लगी। साथ ही कटान भी तेज हो गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है।


# ढाब क्षेत्र में कटान तेज
ढाब सोता में बाढ़ घटने के साथ ही रामपुर, कुढ़वा से गोबरहां गांव के सामने तक लगभग दो किलोमीटर दूरी तक खेतों के कटान में तेजी आ गई है। ढाब वासियों को पानी घटने के बाद थोड़ी राहत तो मिली है। लेकिन जगह जगह रोड रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है। फसलें बरबाद हो गई हैं। चौतरफा बदबू और जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ने की संभावना है। गोबरहां के किसान लालजी, जयशंकर, राहुल, फुलबहार, प्रभाकर विजय, भोला, शीतल आदि का कहना है कि कटान के चलते किसान भूमिहीन की स्थिति में पहुंच गए हैं। कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने बीते दिनों आश्वासन दिया था कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद जल्द तटबंध बनाकर कटान रोका जाएगा।

वाराणसी नगर निगम बाढ़ कम होने के बाद साफ-सफाई, फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव करने का दावा कर रहा है। लेकिन हकीकत इससे अलग है। शनिवार को बघवा नाला और नक्खी घाट क्षेत्र में जब पड़ताल की गई तो लोगाें ने बताया कि इन क्षेत्रों में अब तक न तो नगर निगम की ओर से फॉगिंग या एंटी लार्वा का छिड़काव किया गया है और न ही साफ-सफाई कराई गई है। बघवा नाला क्षेत्र में फूलचंद, हीरामनी देवी, राजू आदि ने अपना दर्द बयां करते हुए स्थानीय पार्षद बृजेश श्रीवास्तव पर पक्षपात का आरोप लगाया। कहा कि पार्षद केवल अपनेे करीबियों के घरों या उनके क्षेत्रों में ही दवाओं का छिड़काव और सफाई करा रहे हैं। यही नहीं इस क्षेत्र के लोगों को राहत सामग्री तक नहीं उपलब्ध कराई गई है।


बघवा नाला क्षेत्र के लोगों ने यह भी बताया कि बाढ़ के बाद सफाई के लिए सबसे अधिक आवश्यकता पानी की है, लेकिन क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति बाधित  है।नक्खी घाट क्षेत्र की रेखा देवी, मंजू, आशा देवी आदि महिलाओं ने बताया कि पानी उतरे तीन दिन हो गए लेकिन नगर निगम की ओर से अभी तक कोई अधिकारी या कर्मचारी झांकने तक नहीं आया। इन महिलाओं ने बताया कि बाढ़ का पानी घटने के बाद इन लोगों ने खुद से ही सफाई की।


# बाढ़ में नुकसान हुई फसलों का अगले हफ्ते होगा सर्वे
गंगा और वरुणा नदी में आई बाढ़ ने न केवल आम जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है, बल्कि फसलों को भी बर्बाद कर दिया। ऐसे में कृषि विभाग अगले हफ्ते से फसलों का सर्वे कर किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाने की कवायद शुरू करने जा रहा है। जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह मौर्य ने बताया कि बाढ़ में बर्बाद हुई फसलों का निरीक्षण कर किसानों को क्षतिपूर्ति दी जाती है। इसके लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन होता है इसमें क्षेत्रिय लेखपाल, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक और बीमा कंपनी के प्रतिनिधि होते हैं। क्षतिपूर्ति गांव में लगी कुल फसल का 50 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान होने पर ही दी जाती है। इसका लाभ भी केवल उन्हीं किसानोें को मिलता है, जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करा रखा है।

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