आपराधिक घटना को सरेआम नकारती है जौनपुर पुलिस


बड़ी घटना को हल्के अंदाज में बताने में माहिर है पुलिस
एक ही परिवार में एक माह में तीन बार हुई घटना के बाद भी पुलिस गम्भीर नहीं
जौनपुर। पुलिस अपने शान में, जनता हलकान में, पुलिस क्यों नहीं करती विधिक कार्रवाई? क्यों मामलों का पटाक्षेप करके अपना पल्ला झाड़ लेती है? पुलिस को जनता जनार्दन जिस प्रकार से अपना रक्षक मान करके उनके प्रति सदैव आभार व्यक्त करती है, उनके लिए एक कुशल रक्षक के रूप में निहारती है, वहीं इस सरकार में पुलिस मनमाना कार्य करती हुई घटना को नकार देती है। जो घटना हुई न हो, उसे साकार रूप देने में दक्ष है प्रदेश सरकार की पुलिस। जौनपुर में जाने कितने ऐसे मामले फौजदारी, लूट, चोरी, मारपीट, फायरिंग या अन्य प्रकार की छोटी—बड़ी घटनाएं होती हैं परंतु अपने और थाने की छवि को धूमिल न होने देने के लिए पुलिस मामले को स्थल पर ही उसका पटाक्षेप कर देती है। अफवाह नाम देकर झूठी खबर का नाम देकर पुलिस भोली-भाली जनता को गुमराह करने के साथ अपने उच्च अधिकारी को भी गुमराह करती है और उक्त थाना अथवा चौकी के निरीक्षक उपनिरीक्षक अपनी पीठ थपथपा लेते हैं कि मेरे क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई वारदात नहीं हुई है। बताते चलें कि विगत दिनों जौनपुर भंडारी स्टेशन पर कुछ व्यक्तियों ने शराब पीने—पिलाने को लेकर किसी दुकान पर बैठकर हाथापाई झगड़ा किये, उसे सबक सिखाने हेतु दूसरे दिन लगभग 10 से 15 युवक मुंह पर काला गमछा हाथों में बेस, बैट, हाकी, डंडा आदि लेकर स्टेशन प्रांगण में दाखिल हुए जहां चक्रमण करते हुए अपशब्दों का प्रयोग किए और फिर हवाई फायर करके वहां से नदारद हो गए। पुलिस को सूचना होने के पश्चात मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस इस मामले को सीधे नकार दिया कि इस तरह की कोई भी घटना यहां नहीं घटी जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि युवाओं की संख्या अधिक सभी के मुंह पर काला गमछा भागते हुए व्यक्तियों में से किसी एक का गमछा गिरा, वह किसी दुकान पर आज भी महफूज रखा गया है। वहीं दूसरी तरफ नगर के जेसीज चौराहा पर स्थित उडलैण्ड बजाज शो रूम पर विगत 4 नवम्बर की रात लगभग 8 से 9 बजे के बीच फायरिंग किया गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने इस घटना को भी बड़ी खूबसूरती से नकारते हुए बताया कि यह किसी के द्वारा चलाए गए पटाखा से था जबकि गाड़ी के बोनट में बाल पॉइंट होल हो गया है। थार गाड़ी का बोनट लगभग 14 से 15 गेज से भी मोटा चद्दर का होता है जिस पर पटाखा गिरने से बाल पिन होल हो सकता है तो सरकार द्वारा इस तरह के पटाखों के निर्माण पर तत्काल रोक लगा देनी चाहिए, क्योंकि अगर बॉल पिन होल हो सकता है तो निश्चित रूप से उस पटाखे से हत्या भी की जा सकती है। आम पटाखा कितना भी बड़ा या शक्तिशाली हो, उसे साधारण गाड़ियों पर भी यदि फेंका जाए तो उसका सिर्फ पेंट जल सकता है परंतु छेद नहीं हो सकता। फिर भी बड़े सफाई के साथ स्थानीय पुलिस यह कहते हुए नकार दी कि यहां किसी तरह की कोई फायरिंग नहीं हुई है जबकि शो रूम के मालिक का कहना है कि विगत कई दिनों से हमारे यहां कई प्रकार से छोटी—बड़ी घटनाएं हुई हैं जिसमें पुलिस ने किसी प्रकार कोई कार्यवाही नहीं किया। एक ही परिवार में एक माह के अंदर तीन घटना को अंजाम दिया गया है परन्तु जिम्मेदार पुलिस के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। ऐसे में लगता है कि शायद किसी बड़ी घटना की प्रतीक्षा कर रही जौनपुर पुलिस। पुलिस का कारनामा यदि क्षेत्रों में देखा जाए तो गलत को सच और सच को गलत करने की ट्रेनिंग प्राप्त हुई है। अजय साहिनी जैसे आला अधिकारी को भी गुमराह करने से बाज नहीं आ रही स्थानीय पुलिस जबकि देखा जाय तो आये दिन थानों और चौकियों के नाक के नीचे से चोरी, लूट, हत्या, बलात्कार आदि घटनाएं हो रही हैं। आरोपी को पकड़ने में पुलिस आज भी विफल है। वहीं अपनी विफलता को छिपाने के लिये पुलिस बेवजह निर्दोष लोगों को फंसाने का प्रयास किये रहती है।

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