दिव्यांगजनों की क्षमता को देखते हुए उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की जरूरत :डॉ. रॉबिन सिंह

जौनपुर 
हर साल 3 दिसंबर कोअंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकलांग दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दिव्यांगों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना। विकृति लोगों के साथ ही अन्य परिजनों को उनके अधिकार के लिए जागरूकता फैलाना। 1992 के बाद से दुनियाभर में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने का एक और उद्देश्य है उनके प्रति करूणा, आत्‍म - सम्‍मान, और जीवन को बेहतर बनाने का समर्थन और सहयोग दोनों करें। डॉ रॉबिन सिंह के अनुसार शारीरिक विकलांगता के कई कारण हो सकते हैं, जैसे -
सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट,मस्तिष्क की चोट
मस्तिष्क, तंत्रिकाओं या मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली गंभीर बीमारियां, जैसे दिमागी बुखार (मेनिन्जाइटिस)
अनुवांशिक विकार, जैसे मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी (समय के साथ मासपेशियां कमजोर होने की समस्या)जन्मजात समस्याएं, जैसे स्पाइना बिफिडा ( शिशु की रीढ़ की हड्डी का ठीक से विकास न हो पाना)
डॉ सिंह के अनुसार शारीरिक विकलांगता होने से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें प्रेगनेंसी से पहले देखभाल
कम उम्र (18 साल से पहले) और ज्यादा उम्र (35 साल के बाद) प्रेगनेंट होने से बचें।
खून का रिश्ता रखने वाले रिश्तेदारों जैसे चाचा, भतीजी और चचेरे या ममेरे भाई बहनों में शादी न करें जिससे अनुवांशिक समस्याओं से बचा जा सके।
गर्भावस्था के दौरान देखभाल
सारी प्रेगनेंट महिलाओं को टेटनस का टीका लगाना चाहिए।
भारी सामान उठाने जैसे कठोर शारीरिक काम न करें।
अनावश्यक दवाओं और ड्रग्स का सेवन न करें।
धूम्रपान, तम्बाकू, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
एक्स-रे और किसी भी अन्य प्रकार के रेडिएशन से बचें।
संतुलित आहार खाएं। 
बच्चे पैदा करने की उम्र की सारी महिलाओं को रोज़ाना 0.4 मिलीग्राम विटामिन बी9 (फोलिक एसिड) की आवश्यकता होती है। 
खसरा या गलसुआ  अदि बिमारियों से बचें, खासकर गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में यौन संचारित रोग से ग्रस्त व्यक्ति के साथ यौन संपर्क से बचे 
पैरों में सूजन, लगातार सिरदर्द, बुखार, पेशाब में दर्द या मुश्किल, योनि से रक्तस्त्राव और पीलिया होने पर अपने डॉक्टर के पास जाएं। डिलीवरी के दौरान देखभाल
डिलीवरी प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा अस्पताल में होनी चाहिए जहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हों
समय से पहले हुए बच्चों और कम वज़न वाले बच्चों (ढाई किलो से कम) को अधिक देखभाल की आवश्यकता हो सकती है 
बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए जन्म के तुरंत बाद स्तनपान शुरू कर देना चाहिए। बचपन में देखभाल अगर बच्चे को दौरा पड़ता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं हर बच्चे का संक्रामक बिमारियों के प्रति टीकाकरण होना चाहिए। 
बच्चे को ज़्यादा पेंट, स्याही या लीड के संपर्क में न आने दें।
अगर बच्चा शोर वाले इलाके में है, तो उसके कान को ढकने के लिए इयरप्लग का प्रयोग करें।
बच्चे को चेहरे पर न मारें क्योंकि इससे उसके कान के परदे को नुक्सान हो सकता है जिससे उसकी सुनने की क्षमता जा सकती है अपने बच्चे के शरीर का तापपमान किसी भी वजह से 101 डिग्री से ज़्यादा न होने दें। इससे बुखार सम्बन्धी दौरे हो सकते हैं सिर की चोट और अन्य एक्सीडेंट से बच्चे को बचाएं बच्चे को संतुलित आहार और साफ पानी दें चार से पांच महीने के बीच की उम्र के दौरान बच्चे को पर्याप्त मात्रा में अच्छा भोजन दें विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग, जैसे रतौंधी, से बचने के लिए विटामिन ए  दें साफ़ सुथरे और कम भीड़ भाड़ वाले वातावरण में बच्चे को रखें ताकि वह मेनिन्जाइटिस और इंसेफेलाइटिस से बच सके।
गोइटर और क्रेनटिनिस्म  एक ऐसी समस्या जिसमें थायराइड हार्मोन का उत्पादन कम होता है) से बच्चे को बचाने के लिए उसे आयोडीन वाला नमक दें
शारीरिक विकलांगता के लिए निम्नलिखित थेरेपी का उपयोग किया जाता है शारीरिक थेरेपी शारीरिक थेरेपी या फिजियोथेरेपी शरीर की गतिविधि करने की क्षमता, संतुलन व ताल-मेल और ताक़त व सहनशीलता को सुधारने पर केंद्रित रहती है। 
 ऑक्यूपेशनल थेरेपीऑक्यूपेशनल थेरेपी एक ऐसा उपचार है जो लोगों को जीवन के सारे भागों में मदद करता है। अगर आपके बच्चे को शारीरिक विकलांगता, विकास की समस्याएं, स्पीच थेरेपी स्पीच थेरेपी बोली, भाषा और मुंह से बोलने के तरीके को सुधारती है डॉ. रॉबिन सिंह ने कहा कि दिव्यांगजन के शरीर में यदि कोई कमी होती है तो उसके बदले कोई ऐसी दिव्य विशेषता भी होती है, जो उसे अन्य लोगों से अलग करती है। इसी नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांग शब्द को हटाकर दिव्यांग नाम दिया था। दिव्यांगजनों में सामान्य मनुष्य से भी आगे जाने की क्षमता होती है। बस उनकी क्षमताओं को देखते हुए उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देने की जरूरत है।

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