सलामती, इंसाफ व दयानतदारी का मज़हब है इस्लाम: मौलाना आब्दी

सलामती, इंसाफ व दयानतदारी का मज़हब है इस्लाम: मौलाना आब्दी
इस्लाम हर किसी को 4 शादियों की नहीं देता है इजाज़त
बलुआ घाट में आयोजित मजलिस में शामिल हुये तमाम अज़ादार
जौनपुर। कर्बला में जो कुर्बानी इमाम हुसैन ने दी, आज उसी की वजह से इस्लाम दुनिया में बाकी है, क्योंकि इस जंग में एक तरफ दुश्मने मोहम्मद थे और दूसरी तरफ उनका नवासा। दुश्मन सब खत्म हो गये। आज उनका कोई नाम लेने वाला नहीं है जबकि मोहम्मद और उनकी आल का नाम आज भी बाकी है जिसका वादा अल्लाह ने सूरए कौसर में किया था। उक्त बातें मौलाना सैयद जावेद आब्दी ने नगर के बलुआ घाट स्थित मेंहदी वाली जमीन पर आयोजित मरहूमा हसन बांदी व मरहूम सैयद इकबाल कमर शहज़ादे की मजलिसे बरसी को सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने आगे कहा कि अल्लाह ने मोहम्मद से वादा किया था कि तुम्हारे सभी दुश्मन खत्म कर दिये जायेगें उनका नाम लेने वाला कोई नहीं रहेगा और हुसैन अ.स. की कुर्बानी के बाद ऐसा ही हुआ। उन्होंने कहा कि कुर्बानी का मतलब किसी जानवर की गरदन पर छुरी चलाने का नाम नहीं है, बल्कि ईश्वर की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने का नाम ही असल में कुर्बानी है। यह कुर्बानी सिर्फ फातमा के घर वालों ने दी है। उन्होंने कहा कि यह घर अल्लाह के कितना करीब है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्लाह ने अपने सभी सिफात को इसी घर से मंसूब किया और महमूदियत की पहचान मोहम्मद, आला की पहचान अली, फातिर होने की पहचान फातमा, मोहसिन होने की पहचान हसन और एहसान करने का सिफात हुसैन को अता किया।
उन्होंने कहा कि इस्लाम सलामती, अदल और इंसाफ तथा दयानतदारी का मजहब है। इस्लाम में 4 शादियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुरआन में इस संबंध में साफ तौर पर कहा गया कि अगर तुम्हारे अंदर ताकत है और तुम अदल व इंसाफ कर सकते हो तो चार शादियां जायज हैं लेकिन हर आदमी चाहे वह करोड़पति ही क्यों न हो उसके लिए 4 शादियां जायज नहीं है और न ही शौकिया तौर पर कुरआन ने शादियों का हुक्म दिया है। अदल का विस्तार करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जरा सा भी इधर से उधर हुआ तो आदमी आदिल के बजाय जालिम बन जाता है, इसलिए अदल नहीं कर सकते तो 4 शादियां भी नहीं कर सकते। यही वजह है कि मोहम्मद साहब ने अपनी पहली पत्नी जनाबे खतीजा के रहते हुए दूसरी शादी नहीं की थी और हज़रत अली अ.स. ने भी जनाबे फातमा के हयात में दूसरी शादी न करके यह बता दिया कि शादियां उस वक्त तक ही जायज है जब तक सभी के साथ बराबर से इंसाफ हो सके।
इसके पहले कार्यक्रम की शुरूआत मेंहदी जैदी व उनके हमनवां की सोजख्वानी से हुई जिसके बाद शोहरत जौनपुरी, तनवीर जौनपुरी व शम्सी आजाद ने बारगाहे अहलेबैत में अपने कलाम पेश किये। अंजुमन शमशीरे हैदरी के नौहेखा शहज़ादे सदर इमामबाड़ा ने दर्द भरे नौहा पेश किया। अंत में आयोजक सै. हसनैन कमर 'दीपू' व सै. अफ़रोज़ क़मर ने आये लोगों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर सै. अंजार कमर, मौलाना मनाज़िर हसनैन खान, मौलाना शेख हसन जाफर, मौलाना फरमान हैदर, पूर्व विधायक अरशद खान, उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य हैदर अब्बास, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य रजा हैदर, वरिष्ठ पत्रकार आसिफ रजा जाफरी, डॉ नासिर खान, भाजपा नेता मेंहदीउल हसन आब्दी, समाजसेवी अमित कुमार, वक़ार हुसैन, डॉ नौशाद अली, तनवीर हसन, कांग्रेस जिलाध्यक्ष फैसल हसन तबरेज़, सपा जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव, सै. शहंशाह आब्दी, सपा नेता श्रवण जायसवाल, अली मंज़र डेज़ी, अनवारूल हक गुड्डू, राहुल त्रिपाठी, सै. अबुजर, डॉ.कमर अब्बास, ख्वाजा शमशीर हसन, सै. शावेज़ हैदर, माजिद हसन, अली मेंहदी, अब्दुल हक़ अंसारी, कर्मचारी नेता निखिलेश सिंह, मनीष गुप्ता, पूर्व सभासद शाहिद मेंहदी, जगदीश प्रसाद मौर्य 'गप्पू', मिर्जा जावेद सुल्तान, आजम ज़ैदी, मोहम्मद रशीद, मोहम्मद अली, सै. नज़्म हसन, सैय्यद अतहर अब्बास, सैय्यद मंज़र अब्बास, डॉ रज़ा बेग कब्बन, सै. जैगम अब्बास, रियाजुल हक़, मुफ्ती हाशिम मेंहदी, एजाज़ हुसैन, तहसीन शाहिद, अज़ादार हुसैन, नयाब हसन सोनू, रूमी आब्दी, आफताब अहमद, मोहम्मद उज़ैफ़ा, शाकिर ज़ैदी, जैन अब्बास, सै अमीर हैदर अम्मन, डॉ जौहर अली ख़ान सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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