दीवानी न्यायालय अधिवक्ता संघ ने प्रधानमंत्री को भेजा पत्रक


कानून का ज्ञान होना एक आदर्श नागरिक का मौलिक अधिकार है: विकास तिवारी
जौनपुर। दीवानी न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जितेंद्र नाथ उपाध्याय व मंत्री अनिल सिंह ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग किया कि देश के प्रत्येक नागरिक को संविधान, कानून का ज्ञान देने के लिए कानून के अधिकार की अवधारणा को संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाय। आज हजारों-हजार कानून, अनुच्छेद, धाराएं एवं प्रावधान के उपरांत भी समाज अनियंत्रित है, क्योंकि जिनके लिए यह सब बना, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
विदित हो कि विकास तिवारी अधिवक्ता दीवानी न्यायालय जौनपुर की अगुवाई में अधिवक्ताओं का एक समूह विगत दिनों अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष को ज्ञापन देकर मांग किया था कि देश के प्रत्येक नागरिकों को कानून का ज्ञान हो, इसलिए कानून के अधिकार विषयक अवधारणा को संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार का दर्जा दिलाने में सहयोग प्रदान किया जाय। इस जनअभियान के संदर्भ में अधिवक्ता विकास तिवारी का कहना है कि 'कानून का ज्ञान' आदर्श नागरिकता के स्थान पर वर्तमान में कुछ लोगों के व्यवहार एवं उनके व्यक्तिगत क्रियाकलापों में सिमटकर रह गई है। आज सामाजिक ढाँचे में रूपांतरण की प्रक्रिया व्यक्ति के अधिकारों के वर्चस्व तक सीमित है। कर्तव्य ' गौण ' हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि 'कानून का अधिकार' नामक इस अभियान का प्रमुख लक्ष्य आदर्श नागरिकों को कानून जानने का जो एक बुनियादी अधिकार है, उसे उन्हें दिलाना होगा। इसके लिए जनता द्वारा जन-अभियान के माध्यम से सरकार और समाज का इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करना ही, अभियान का मुख्य उद्देश्य है। प्रत्येक व्यक्ति या समुदाय अपने स्व अधिकार यानी मूल या मौलिक अधिकार अथवा मानवाधिकार को स्वतः प्राप्त करेंगे। साथ ही कोई किसी के मौलिक अधिकार या मानवाधिकार का हनन नहीं कर पाएगा।

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