बालिका दिवस पर निकाली गई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ रैली

बालिका दिवस पर निकाली गई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ रैली


बालिका दिवस पर निकाली गई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ रैली
जौनपुर,
बालिका दिवस पर मंगलवार को मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने टीबी हास्पिटल परिसर से हरी झंडी दिखाकर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ रैली को रवाना किया। यह रैली अम्बेडकर तिराहा होते हुए टीबी हास्पिटल परिसर में आकर समाप्त हुई।
रैली में शामिल लोगों ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे लगाकर बेटियों के स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया। बेटी-बेटा एक समान, सबको शिक्षा का अधिकार, भारत की शान हैं बेटियां अभिमान हैं आदि नारों से बेटियों के प्रति असमानता का भाव नहीं रखने की अपील की। रैली का नेतृत्व पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ राजीव कुमार ने किया।

रैली में नगरीय क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं, कुंवर हरिवंश सिंह पैरामेडिकल कालेज के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। वहीं जिला क्षयरोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ राकेश कुमार सिंह, चीफ फार्मासिस्ट ज्ञानदेव सिंह, फार्मासिस्ट अरविंद सिंह, जिला नगरीय समन्वयक प्रवीन पाठक, डीपीसी सलिल यादव, प्रधान लिपिक अजय सिंह, मैटर्नल हेल्थ कंसल्टेंट नीरज सिंह, एनसीडी के अकाउंटेंट जय प्रकाश गुप्ता, आईडीएसपी के आपरेटर नीरज यादव, एनसीडी के आपरेटर कुलदीप श्रीवास्तव आदि की भी भागीदारी रही।

रैली के बाद मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय सभागार में एक गोष्ठी हुई जिसमें सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह बालिका दिवस के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश में बालिकाओं को हर तरह की असमानताओं का सामना करना पड़ता है। यह धारणा ग़लत है। इससे उनका विकास प्रभावित होता है। इसके बारे में जागरूकता फैलाने, बालिकाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने, बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आज के दिन विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेशियो और बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित अन्य जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं।

एसीएमओ डॉ राजीव कुमार ने कहा कि आज ही के दिन देश की लौह महिला इंदिरा गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्य भार संभाला था। उन्हें नारीशक्ति के रूप में याद किया जाता है। इसलिए हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से 2008 में की गई थी। पहली बार 24 जनवरी 2009 को यह दिवस मनाया गया। उन्होंने कहा कि बेटियों को अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लोग बेटी की जगह पर बेटे ही पैदा होने की इच्छा रखते थे। इसलिए भ्रूण की जांच कर उन्हें मार दिया जाता था। अब भ्रूण हत्या के लिए कठोर दंड निर्धारित हैं। उन्होंने कहा कि संख्या कम होने पर महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ेंगे। शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलेंगी। इसलिए लड़की पैदा होने पर उत्सव मनाइये। उन्हें भी लड़कों जैसी शिक्षा दीजिए।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ नरेन्द्र सिंह ने कहा कि लोगों को लैंगिक भेदभाव नहीं करना चाहिए। जिन देशों में लड़के-लड़कियों को बराबर अवसर मिले, असमानता नहीं रही, ‌वहां तेजी के साथ विकास हुआ। अमेरिका और पश्चिमी देश इसके उदाहरण हैं। आजादी के इतने वर्षों बाद भी बेटियों को हम उतना सम्मान नहीं दे पाए जिसकी वह हकदार थीं। अब शिक्षित परिवार बेटे-बेटियों में जरा भी भेदभाव नहीं कर रहे। गोष्ठी में डिप्टी डीआईओ डॉ डीके सिंह, चाई के डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर शिशिर रघुवंशी, वीसीसीएम शेख अबजाद सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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