साहित्य हमारी विरासत: डा. ब्रजेश यदुवंशी

साहित्य हमारी विरासत: डा. ब्रजेश यदुवंशी
प्रख्यात साहित्यकार का हैदराबाद में हुआ जोरदार स्वागत
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के चर्चित पूर्व छात्र नेता और प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार डा. ब्रजेश यदुवंशी ने कहा कि साहित्य हमारी विरासत हैं। इनसे हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानकारी मिलती है। भारत विविधता का देश है। यहां कई भाषाओं के साहित्यकार हैं जो अपनी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को अपनी कलम के माध्यम से संजोने का अथक प्रयास करते रहे हैं और करते आए हैं। हिंदी साहित्य के संदर्भ में साहित्यकारों और हिंदी सेवियों से मिलने हैदराबाद पहुंचने वाले डा. यदुवंशी का मल्काजगिरी स्थित समाजसेवी श्याम मोहन यादव के आवास पर स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में बिहार सहयोग समिति तेलंगाना के अध्यक्ष विनय यादव, संपत राव, श्याम मोहन यादव आदि रहे। इस मौके पर डॉ यदुवंशी ने कहा कि तेलुगु साहित्य अपने आपमें समृद्ध है और देश को एकीकरण में बांधने की क्षमता भी रखता है। सभी साहित्य की अपनी एक विशेषता होती है और मिठास होती है। देश में सैकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं और इसका एक अनूठा इतिहास भी है। पूरे देश के लोगों को एक—दूसरे प्रदेश की सभ्यता व संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में हिंदीवासियों की संख्या काफी है। हिंदी के प्रचार प्रसार के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है। हिंदी भाषा देश को एक माला में पिरोने का काम करती है। सभी भाषाओं का अपना महत्व है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषी लोगों को दक्षिण भारत की भाषा तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयाली भाषा को सीखना चाहिए। इन भाषाओं को सीखने के बाद ही दक्षिण भारत की सभ्यता संस्कृति को बारीकी से जाना जा सकेगा तभी जाकर हम देश की एकता व अखंडता को और बलशाली बना सकेंगे। गौरतलब है कि डा. यदुवंशी उत्तर प्रदेश में भोजपुरी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए प्रयासरत हैं। वे हिंदी साहित्य और भाषा के प्रचार-प्रसार के सिलसिले में मारीशस, दुबई, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार आदि देशों का दौरा कर चुके हैं। डॉ यदुवंशी की मारीशस के हिन्दीसेवी प्रहलाद राम शरण नाम की पुस्तक मारीशस विश्वविद्यालय में भी पढ़ाई जाती है। ड. यदुवंशी देश के कई राज्यों का भ्रमण कर चुके हैं तथा कई पुस्तक भी लिख चुके हैं। इन्हें कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा जा चुका है। डॉ यदुवंशी ने तेलंगाना भ्रमण के दौरान कई हिंदी साहित्यकारों और हिंदी के प्रचार प्रसार में जुटे संस्थानों के लोगों से मुलाकात कर विभिन्न प्रकार की जानकारी लिया।

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