सूर्य पर बने मण्डल को देख लोगों में तमाम भ्रांतियां उत्पन्न: फलाहारी महाराज

सूर्य पर बने मण्डल को देख लोगों में तमाम भ्रांतियां उत्पन्न: फलाहारी महाराज
जौनपुर। अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दू परिषद के विभाग धर्माचार्य एवं महंथ राम प्रीति मिश्र फलाहारी महाराज ने बताया कि शुक्रवार को सूर्य पर बने मण्डल को देखकर लोगों में अनेकों प्रकार की भ्रांतियां उत्पन्न हो रहे हैं जबकि आज वैशाख शुक्ल अष्टमी शुक्रवार को दोपहर 12 बजे में सूर्य के चारों तरफ जो गोला बना, उसे अष्टमी जया तिथि का जाता है। यह गोला बृहस्पति का है। जो पत्थर होता है उसे पुखराज कहा जाता है तथा उसका दूसरा पत्थर टोपाज होता है। सूर्य के चारों तरफ उसी कलर का जो गोला बना, वह गोला पिंगल है। इस गोले को बनने से भविष्य की सूचना मिल रही है कि भविष्य में देश उन्नति के पथ पर होगा। विश्व में वर्चस्व स्थापित होगा और भारत भारत विश्व गुरु के पद पर अग्रसर होगा। इस गोले का यही प्रभाव है जो भविष्य की सूचना दे रहा है कि भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र होगा। इसका वर्चस्व प्रभाव पूरे विश्व में होगा। सूरज के गोले का अर्थ यही है। फलाहारी महाराज ने कहा कि सारांश में कहे तो जो भविष्य को दर्शा रहा है। ग्रहों में बृहस्पति गुरु का प्रतीक माना गया है। गुरु मतलब ज्ञान जिससे यह सिद्ध होता है कि भारत बुद्धि—विवेक के बल पर विश्व में शासन करेगा। विश्व का कल्याण होगा। वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिकों की मानें तो आज आसमान में ऐसा खगोलीय नजारा देखा जा रहा जिसमें सूरज के चारों ओर सतरंगी इंद्रधनुषीय घेरा बना, विज्ञान की भाषा में इसको 'सन हेलो' कहा जाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह आसमान में कभी-कभी दिखने वाला अद्भुत नजारा है। इसमें सूरज के चारों ओर एक इंद्रधनुषीय घेरा बन जाता है। वातावरण में मौजूद बर्फ के लाखों क्रिस्टलों में से सूरज की रोशनी परिवर्तित होती है तो इससे 'सन हैलो' का खगोलीय नजारा दिखाई देता है। जब सूरज के चारों ओर एक छल्ले जैसी आकृति बन जाती है तो इसे सन हेलो कहा जाता है। यह एक साधारण वायुमंडलीय घटना है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब सूरज धरती से 22 डिग्री के कोण पर होता है तो आसमान में मौजूद सिरस क्लाउड (ऐसे बादल जिनकी परत काफी पतली हो) में मौजूद पानी और बर्फ के कणों से होने वाले परावर्तन की वजह से ऐसी आकृति दिखाई देती है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि भारत में इस तरह की घटनाएं काफी दुर्लभ हैं लेकिन ठण्डे देशों में यह घटना बेहद सामान्य है। जब सूरज के आस—पास नमी भरे बादल होते हैं और वह पानी क्रिस्टल की तरह काम करता है तब यह घटना होती है। यही वजह है कि ठण्डे देशों में सन हैलो दिखना बेहद आम होता है।

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