भाजपा ने मनाया काला दिवस, याद किया भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के सबसे दुःखद आपातकाल का काला दिन

भाजपा ने मनाया काला दिवस, याद किया भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के सबसे दुःखद आपातकाल का काला दिन 

25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का समय इंदिरा गांधी सरकार की मनमानियों का दौर था: अन्नपूर्णा देवी

लोकतन्त्र सेनानियों को भाजपा कार्यालय पर अंगवस्त्र से स्वागत किया गया 

जौनपुर : भारतीय जनता पार्टी जौनपुर का सीहीपुर स्थित भाजपा कार्यालय पर जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता में आपातकाल पर काला दिवस मनाया गया।  जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी रही।  सर्वप्रथम मुख्य अतिथि एवं जिलाध्यक्ष के साथ मंचासीन लोगो ने डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पण्डित दीन दयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ की गई। उसके उपरान्त सामूहिक रूप से वंदे मातरम की गीत हुई। तसपश्चात जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह एवं कार्यकर्ताओं द्वारा मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया।
मुख्य अतिथि अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि इतिहास में 25 जून का दिन भारत के लिहाज से महत्वपूर्ण है। देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि के लिए आपातकाल लागू था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के लिए किसी काले पन्‍ने से कम नहीं है। इस दिन को यादकर हर भारतीय का सिर शर्म से झुक जाता है। यह समय तत्‍कालीन इंदिरा गांधी सरकार की मनमानियों का दौर था। उस वक्‍त सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबा दिया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि करीब साढ़े चार दशक पहले आज के ही दिन देश के लोगों ने रेडियो पर एक ऐलान सुना और पूरे मुल्क में खबर फैल गई कि भारत में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। सालों बाद भले ही देश के लोकतंत्र की गरिमामयी तस्वीर दुनिया को दिखाई देती है। लेकिन, आज भी अतीत में 25 जून का दिन लोकतंत्र के काले अध्याय के रूप में ही दर्ज है। देश में 21 महीने तक इमरजेंसी लागू रही।
इंदिरा गांधी का न्यायपालिका से टकराव ही इमरजेंसी की पृष्ठभूमि बना था: सुरेन्द्र प्रताप सिंह

सबसे कम उम्र के आपातकाल के बंदी एवं पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का कुछ कारणों से न्यायपालिका से टकराव शुरू हो गया था। यही टकराव इमरजेंसी की पृष्ठभूमि बना था। 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी की जीत पर सवाल उठाते हुये प्रतिद्वंद्वी राजनारायण ने 1971 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया है। मामले की सुनवाई हुई और इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया गया। इस फैसले से आक्रोशित होकर ही इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाने का फैसला किया। इंदिरा गांधी इतना क्रोधित हो गई थीं कि अगले दिन ही उन्होंने बिना कैबिनेट की औपचारिक बैठक के आपातकाल लगाने की अनुशंसा राष्ट्रपति से कर डाली। इस पर राष्ट्रपति ने 25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में ही अपने हस्ताक्षर कर डाले। इस तरह देश में पहला आपातकाल लागू हो गया।

जेल में डाले गए जेपी, अटल और आडवाणी : पुष्पराज सिंह

जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि आपातकाल के ऐलान के साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे। अभिव्यक्ति का अधिकार ही नहीं, लोगों के पास जीवन का अधिकार भी नहीं रह गया था। 25 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया था। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नाडीस सरीखे बड़े नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था। जेलों में जगह तक नहीं बची थी। आपातकाल के बाद प्रशासन और पुलिस के भारी उत्पीड़न की कहानियां सामने आई थी प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। हर अखबार में सेंसर अधिकारी बैठा दिया गया। उसकी अनुमति के बाद ही कोई समाचार छप सकता था सरकार विरोधी समाचार छापने पर गिरफ्तारी हो सकती थी। यह सब तब थम सका, जब 23 जनवरी, 1977 को मार्च महीने में चुनाव की घोषणा हो गई।

कार्यक्रम का संचालन सुशील मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में लोकत्रंत सेनानियों को सम्मानित करने वाले राज्य मंत्री गिरीश चन्द्र यादव, राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी, विधायक गण रमेश सिंह बृजेश सिंह प्रिन्सु ने किया। 

निम्न लोकतंत्र सेनानी सुरेंद्र प्रताप सिंह, लक्ष्मी शंकर, राजदेव यादव, हरिशंकर यादव, रामसागर तिवारी, मुरलीराम, राजाराम, मिश्रदयाल, लक्ष्मी नारायण, राजबहादुर यादव, रमेश चंद्र मौर्या, माता प्रसाद, पूल्लू राम यादव, आद्याप्रसाद मिश्रा, रमेश चंद्र उपाध्याय, ब्रह्मानंद ओझा, राम जियावन पाल, राम प्रसाद पाल, जनार्दन तिवारी, बलराम चौरसिया, जयप्रकाश तिवारी, इंद्रपाल सिंह, छोटे लाल यादव, गजराज मौर्या, मिठाई लाल, छोटे लाल शुक्ला, राधेश्याम प्रजापति, रामस्वारथ मौर्या, राम अनुज यादव, राजेंद्र प्रसाद, लल्लन यादव, रतिराम यादव, रामजतन, दयाराम, कैलाश नाथ सिंह, रामचेत चौधरी, श्रीमती मनराजी, हीरालाल यादव, दुखरन यादव, उदय भान सिंह,  देवी प्रसाद मिश्र, रामामूरत तिवारी, श्रीमती लालती, त्रिभुवन नाथ मौर्या, शेष नारायण, उमाशंकर यादव, लालता प्रसाद यादव, वंशराज सिंह, श्रीमती विद्यावती सिंह, ज्ञानदेव तिवारी, जयंती प्रसाद मौर्या, सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, विमल देव तिवारी, भगवती प्रसाद यादव, राम प्रसाद यादव, मदन मोहन यादव, सभाजीत यादव, राम शबद यादव, रामसिंगार यादव को सम्मानित किया गया।

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