सीएमओ ने जूनोटिक रोग के बारे में दी जानकारी ,जानिए कैसे होगा बचाव
जौनपुर । मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अवगत कराया है कि जूनोटिक रोग क्या होता है - मनुष्यों एवं जानवरों के बीच फैलने वाले संक्रामक रोगों को जूनोटिक रोग कहा जाता है।
जूनोटिक रोग संक्रमित जानवर जिनके सम्पर्क में आने से बीमारी होती है। रैबीज - कुत्ता, बिल्ली, सियार (कारनीवोरस), चूहा, चमगादड़, जे0ई0,स्वाइन फ्लू- सुअर, बर्ड फ्लू- डैबलिंग बतख एवं मुर्गा, जलीय पक्षी, इबोला, निपाह- चमगादड़, सार्स (SARS)- चमगादड़, बिल्ली, मंकीपाक्स - बंदर, गिलहरी से होता है।
जूनोटिक रोगों के लक्षण क्या है- त्वचा संक्रमण, फ्लू, उदर सम्बन्धित समस्या, मितली, उल्टी, लिम्फ नोड में सूजन एवं सांस लेने में कठिनाई आदि। जूनोटिक रोग का प्रसार- संक्रमित जानवर की लार, रक्त, मूत्र, श्लेष्मा, श्वसन मार्ग, दूषित मांस एवं उसके पदार्थ, मल या शरीर के अन्य तरल पदार्थां के संपर्क में आना। उच्च जोखिम वर्ग- कैंसर रोगी, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं एवं कम रोग प्रतिरोधी क्षमता वाले व्यक्ति।
इसका बचाव - संक्रमित जानवरों के बचाव, संक्रमित जानवरों के बाड़े की समुचित साफ-सफाई, उत्सर्जित मलमूत्र का उचित निस्तारण, दूषित मांस तथा अन्य उत्पादों के सेवन से परहेज, पालतू पशुओं का नियमित टीकाकरण, पशु चिकित्सकों से पालतु पशुओं की नियमित जॉच कराते रहे।
यदि जूनोटिक बीमारी का लक्षण हो तो क्या करें :- यदि जूनोटिक बीमारी जैसी कोई लक्षण होता है तो तत्काल नजदीक के स्वास्थ्य ईकाई पर अवश्य परामर्श ले।
0 Comments