ऐतिहासिक अलम नौचंदी जुलूस-ए-अमारी में जुटे अज़ादार

ऐतिहासिक अलम नौचंदी जुलूस-ए-अमारी में जुटे अज़ादार
नगर के दालान स्थित इमामबाड़े में हुई मजलिस, हुआ नौहा मातम
नगर की सभी प्रमुख अंजुमनों ने दिया इमाम को पुरसा
जौनपुर। करबला में हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व उनके 71 साथियों की दी गई कुर्बानी की याद में जौनपुर का प्रसिद्ध ऐतिहासिक अलम नौचंदी जुलूस ए अमारी गुरूवार को इमामबाड़ा स्व. मीर बहादुर अली दालान से शाम को निकला गया। इस जुलूस का इतिहास ये है कि सन 1942 में इस इलाके में ताउन यानी प्लेग की बीमारी फैल गई थी और हर घर से लाशे निकल रही थी लोग बहुत परेशान थे। जुलूस के बानी सैय्यद जुल्फेकार हुसैन रिज़वी ने अपने दो साथियों अली बाकर आब्दी व अमीर हसन खां के साथ मिलकर एक फरियादी अलम उठाने का संकल्प लिया और अलम उठाया गया और उसको बीमारी वाले रास्ते से घुमाया गया चमत्कार ये हुआ कि लोगो को बीमारी से निजात मिल गई बीमारी समाप्त हो गई। जब बीमारी समाप्त हो गई तो इन लोगो ने अलम को हर महीने उठाने का फैसला किया।
उसके बाद सफर की नौचंदी जुमेरात को  एक बड़े जुलूस में तब्दील कर दिया गया। इस जुलूस में प्रदेश के कोने कोने से हर धर्म के लोग एकत्रित होते हैं और अपनी मुरादे पाते हैं। अलम पर लोग छिल्ला बांधते हैं और उनकी मुरादे भी पूरी होती है। इस वर्ष इस जुलूस की मजलिस की शुरु आत सोजखानी से हुई जिसको गौहर अली ज़ैदी और उनके साथियों ने पढ़ा उसके बाद  मजलिस की संबोधित करने पटना से आए मौलाना सैयद मुराद रजा रिजवी मुकीम हाल ईरान ने संबोधित किया। मजलिस खत्म होने के बाद अलम मुबारक निकाला गया अलम निकलने के बाद मोहम्मद हसन नसीम ने तकरीर कर अमारियों का परिचय कराया।
 अमारिया बारी बारी निकाली गईं। जुलूस में शहर की समस्त अंजुमन  नौहा मातम करती चल रही थी। जुलूस जब इमामबाड़ा मीर घर पहुंचे तो वहंा एक तकरीर डॉ सैयद कमर अब्बास द्वारा की गई और ताबूत जनाबे सकीना बरामद हुआ जिसको अलम मुबारक से मिलाया गया। जुलूस जब सदर इमामबाड़ा पहुंचा तो वहा बेलाल हसनैन ने एक अलवेदाई तकरीर की और अमारी रौजे में बारी बारी दाखिल की गई। जुलूस के व्यवस्थापक सैयद अलमदार हुसैन रिज़वी, दिलदार हुसैन रिजवी, कन्वीनर सैयद शहेंशाह हुसैन रिजवी एडवोकेट व सैयद खादिम अब्बास व उनके भाइयों द्वारा आए हुए तमाम लोगों का आभार प्रकट किया।

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