जहां यशोदा व नन्द, वहीं प्रभु प्राप्ति का आनन्द: प्रमोद दास

जहां यशोदा व नन्द, वहीं प्रभु प्राप्ति का आनन्द: प्रमोद दास
जफराबाद, जौनपुर। लखनऊ से पधारे संत प्रमोद दास महराज ने कहा कि जहां यशोदा व नंद जैसी दंपति होगी, वहीं प्रभु का आगमन होगा। वह गुरुवार को सात दिवसीय कथा के 5वें दिन मां वनसत्ती इंटर कालेज के प्रागंण में भागवत कथा प्रवचन कर रहे थे। यशोदा और नंद शब्द की तात्विक व्याख्या करते हुए कहा कि यशोदा का मतलब जो दूसरों को यश दे और नंद मतलब जो हमेशा आनंद में मग्न रहे। ऐसा वातावरण जहां होगा वहां भगवान का निवास होना निश्चित है। उन्होंने पूतना प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि पूतना का वार सबसे पहले अपने सह करके मानो कन्हैया ने अपने भक्त ग्वाल बालों को संदेश दिया था कि भक्त की सारी कठिनाई वह स्वयं हरने को तैयार रहते हैं। भक्ति मार्ग पर चलने का संदेश देते हुए कहा कि हम इस ओर तभी आगे बढ़ सकते हैं जब संसार में न उलझें। सांसारिक माया—मोह ईश्वरीय कार्य में बहुत बड़ी बाधा है। हमें इससे सावधान रहना चाहिए।इस अवसर पर मंजू देवी, निर्मला देवी, सुशीला सिंह, अवनीश नागर, विमल दुबे, रामचरन यादव, गुड्डू नागर, दिनेश, प्रदीप सहित तमाम लोग रहे।

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