देश के गौरवशाली इतिहास के लिए हो संगठित : दयाशंकर सिंह
आजमगढ़ मंडल में स्थापित होगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा
महाराणा प्रताप सेना के वार्षिकोत्सव में हुआ ’पराक्रम’ का विमोचन
आजमगढ़। भारतीय इतिहास गौरवशाली और अमिट स्याही है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता है। जब हम सभी संगठित रहेंगे तो मिटाने वाले खुद समाप्त हो जाएंगे। महाराणा प्रताप 85 किलो की तलवार प्रयोग करते थे, उतना अकबर का वजन भी नहीं था। महाराणा प्रताप ने सबको संगठित किया और मुगलों को नाको चने चबवा दिया। उनके स्वाभिमानी जीवन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए महाराणा प्रताप सेना का यह कार्य अद्वितीय है।
उक्त बातें बतौर मुख्य अतिथि परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने महाराणा प्रताप सेना के हरिऔध कला केंद्र के सभागार में आयोजित वार्षिकोत्सव में रविवार को कहीं। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि आजमगढ़ मंडल में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित कराकर युवाओं को राष्ट्र प्रेम के सूत्र में पिरोने का काम किया जाएगा। इसके साथ ही आजमगढ़ जनपद में वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पुर्नस्थापना की जाएगी।
इसके पूर्व सम्मेलन के मुख्य अतिथि परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह, अखिलेश कुमार मिश्र गुड्डू, एड. शत्रुघ्न सिंह व बिजेन्द्र सिंह अन्य द्वारा महाराणा प्रताप के चित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलित किया गया। वार्षिकोत्सव में शैलेन्द्र सिंह बादल ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। इस दौरान महाराणा प्रताप सेना द्वारा प्रकाशित स्मारिका पराक्रम का लोकार्पण अतिथिद्वय द्वारा किया गया।
विशिष्ठ अतिथि एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहाकि महाराणा प्रताप को अकबर ने आधा राज्य देने की शर्त रखी लेकिन स्वाभिमानी महाराणा प्रताप ने समाज को संगठित कर मुगलों के खिलाफ छापामार युद्ध जारी रखते हुए उनकी शर्त को नकार दिया। महाराणा प्रताप ने वंचित, शोषितों को अपने सेना में शामिल कर एक समृद्धशाली इतिहास रच दिया। उनकी वीरता, पराक्रम सदैव कालजयी रहेगी। जिलाध्यक्ष श्रीकृष्णपाल व पूर्व जिलाध्यक्ष प्रेमप्रकाश राय ने कहाकि मुगलों के खिलाफ पूर्वजों ने जो संघर्ष किया वह ऐतिहासिक है। भाजपा वरिष्ठ नेता अखिलेश मिश्र गुड्डू ने कहाकि भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप अदम्य साहस के प्रतीक रहे है।
सहकारिता मंत्रालय भारत सरकार के सलाहकार प्रो गुरू प्रसाद सिंह ने कहाकि महाराणा प्रताप का त्याग और बलिदान आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
महाराणा प्रताप सेना के प्रमुख बिजेन्द्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और महाराणा प्रताप सेना के कार्यो पर प्रकाश डालते हुए कहाकि पाठ्यक्रमों से महापुरूषों के नाम हटने के बाद यह सेना जन-जन तक महापुरूषो की गाथा पहुंचाने का बीड़ा उठाई, जो निरंतर जारी है। अध्यक्षता संरक्षक शत्रुध्न सिंह एड व संचालन अभय तिवारी ने किया।
विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। जिसमे स्वतत्रंता संग्राम सेनानी के परिजन, लोकतंत्र रक्षक सेनानी, साहित्य, लेखन, सम्पादन, सामाजिक क्षेत्र, कला संगीत, शिक्षा एवं अन्य क्षेत्र के लोग शामिल रहे।
इस अवसर पर पूर्व जिला जज ध्रुव नरायन यादव, कमलाकांत सिंह, जय नाथ सिंह, डा धीरेंद्र कुमार सिंह, राणा प्रताप सिंह, डा दिग्विजय सिंह राठौर, अनिल सिंह, जय सिंह, बलराज सिंह, स्वतंत्र सिंह, पूजा सिंह, गुड्डू तिवारी, विपिन सिंह, शशि प्रकाश सिंह, शिवम तिवारी, गणेश शंकर मिश्र, सत्येंद्र राजभर, नरेंद्र यादव आदि मौजूद रहे।
उत्कृष्ट कार्या के लिए हुए सम्मानित
आजमगढ़। महाराणा प्रताप सेना के वार्षिकोत्सव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजन प्रभुनारायण पांडेय प्रेमी, कैप्टन उमाशंकर सिंह, शशि राय सहित 8 लोग सम्मानित हुए वहीं कला क्षेत्र में अभिषेक पंडित, ममता पंडित, राजकुमार को सम्मानित किया गया। साथ ही संगीत क्षेत्र में अजय मिश्र, आराधना सिंह, शैलेन्द्र सिंह वहीं प्रख्यात मूर्तिकार शैलेंद्र सिंह का सम्मान हुआ। खेल में राष्ट्रीय पहचान बनाने वाले यशराज सिंह, केशव सिंह, शशिकांत यादव को सम्मानित किया गया। सामाजिक क्षेत्रों में कार्य करने वाली पूनम सिंह, पवन सिंह व लेखन में कृषि विद्यालय के अधिष्ठाता डा धीरेंद्र सिंह, राणा प्रताप सिंह, हरिओम सिंह, ईश्वर चंद्र त्रिपाठी, दिग्विजय सिंह, डा प्रवेश सिंह, कमलाकांत सिंह, प्रेमप्रकाश यादव को सम्मानित किया गया। वहीं लोक तंत्र रक्षक सेनानी में रामाधीन सिंह, स्वतंत्र कुमार गुप्ता, बालमुंकुंद सिंह, राजेंद्र प्रताप सिंह, भृगुनाथ गुप्ता, प्रेमप्रकाश सहित 41 लोगों को स्मृति चिन्ह, शाल, महाराणा प्रताप का चित्र, अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित हुए।
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