एसटीपी व अमृत योजना की फर्मों को सड़क पुनर्निर्माण का पैसा आखिर कहां गया?

एसटीपी व अमृत योजना की फर्मों को सड़क पुनर्निर्माण का पैसा आखिर कहां गया?
जौनपुर। स्वच्छ गोमती अभियान की ओर से आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान संस्थाध्यक्ष गौतम गुप्ता ने कहा कि जौनपुर में नमामि गंगे व अमृत योजना के तहत हो रहे सीवर कार्य व एसटीपी कार्य मे शुरू से ही हमने गम्भीर भ्रष्टाचार की बात उठायी जिस पर समय रहते जिम्मेदारों ने कार्यवाही उचित नहीं समझी और उस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते रहे जिसका दुष्परिणाम आज समूचा जौनपुर शहर भुगत रहा है। आज जौनपुर शहर की एक भी प्रमुख सड़क नहीं बची जो धंस न गयी हो। आये दिन छोटे बड़े वाहन लगभग हर सड़क पर धंसे नज़र आते हैं। शहरवासी अपने घर से इस भय में निकलता है कि जब कौन सी सड़क धंस जाय। स्वच्छ गोमती अभियान ने सड़कों की खोदाई के समय ही उसके ग्रेवलिंग व मिट्टी के कंपेक्शन न किये जाने की बात गम्भीरता से उठायी थी। आज यह हर ओर धंस रही सड़कें इसी भ्रष्टाचार का परिणाम हैं। दोनों ही योजनाओं में कार्यरत फर्मों को जान—बूझकर अप्रत्यक्ष मोटा लाभ देने की नियत से पर्दे के पीछे से इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले प्रभावशाली लोग जल निगम द्वारा खोदी गयी सड़कों को दूसरे विभागों क्रमशः पीडब्ल्यूडी, नगर पालिका व डूडा से बनवा रहे हैं जबकि उपरोक्त दोनों प्रोजेक्ट में कम्पनियों को सरकार द्वारा सड़क खोदे जाने से लेकर वापस उसे बनाये जाने तक का धन दिया गया है। अब सवाल यह बनता है कि जब उस सड़क को दूसरे विभाग से बनवाया गया तो एसटीपी व अमृत योजना की फर्मों को सड़क पुनर्निर्माण मद में मिला पैसा आखिर कहां गया? कौन है इस गम्भीर भ्रष्टाचार के पीछे और कौन संस्तुति कर रहा है इन सड़कों के निर्माण की? आखिर इन सबके बीच मां गोमती के हितों की ही हत्या हो रही है, क्योंकि यह सारी कवायद अन्तत: गोमती नदी को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की ही है। ऐसे में यह गम्भीर जांच का विषय है, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब पूरा शहर पाताल लोक बन जायेगा। अभी तो सड़कें धंस रही हैं। आने वाले समय में उसी पानी के रिसाव से लोगों के मकान गिरना शुरू हो जायेंगे।
पत्रकारों द्वारा विसर्जन कुंड के सवाल पूछे जाने पर गौतम गुप्ता ने कहा कि विगत दिनों सम्पन्न हुई गणपति पूजा के दौरान विसर्जन कुण्ड बेहद प्रदूषित व मानकविहीन रहा। विसर्जन के उपरांत जिला प्रशासन द्वारा उसका प्रदूषित जल वापस चुपके से गोमती में डाला गया जिसके साक्ष्य भी मौजूद हैं। ऐसे में समय आ गया है कि प्रशासन तहसील स्तरों पर ही स्थल तलाश कर प्रतिमा के ससम्मान विसर्जन की व्यवस्था करे, ताकि शहर में स्थित विसर्जन कुंड पर दबाव कम हो एवं वर्तमान में जो कुंड बना है, उसमें विसर्जन के पूर्व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के गाइड लाइन के अनुसार समुचित व्यवस्था करायें।

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