*मौलाना मो हसन आब्दी ने कर्बला की घटना का किया ज़िक्र, अज़ादारो की आंखो से हुए अश्क जारी*
*हज़रत इमाम हुसैन के कर्बला पहुंचने का ज़िक्र सुनकर अज़ादारो की आंखे हुई नम*
*मजलिसों में शामिल हुए लोग, रोते हुए इमाम हुसैन के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया*
इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदो की याद मे मोहर्रम के तीसरे दिन अजमेरी मोहल्ला स्थित मुफ्ती अनवार हैदर एडवोकेट के इमामबाड़ा में मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस को खिताब करते हुए आज़मगढ़ से आये मौलाना सैय्यद मोहम्मद हसन आब्दी ने कहा कि दो मोहर्रम के दिन ही इमाम हुसैन का काफिला करबला पहुंचा था, जिसमें बुढ़े, बच्चे, औरतें और जवान शामिल थे। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन का मकसद यजीद से जंग करना नहीं था बल्की इस्लाम मजहब का सही संदेश देना था, जो उनके नाना पैगम्बर हजरत मोहम्मद (स.अ) ने दिया था। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मोहर्रम के महीने से होती है। शिया मुसलमानों और मौला हज़रत अली अलैहिस्सलाम के मानने वालो के लिए ये महीना बेहद गम भरा होता है।
जब भी मोहर्रम की बात होती है तो सबसे पहले जिक्र कर्बला का किया जाता है। आज से लगभग साढ़े चौदह सौ साल पहले तारीख-ए-इस्लाम में कर्बला की जंग हुई थी. ये जंग जुल्म के खिलाफ इंसाफ के लिए लड़ी गई थी। इस जंग में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके बहत्तर साथी शहीद हो गए थे। इसलिए कहा जाता है हर कर्बला के बाद इस्लाम जिंदा होता है।
मौलाना मो हसन आब्दी ने आगे बताया कि यजीद और यजीद के लश्कर वाले सच्चाई को खत्म करना चाहते थे और हर तरह की बुराई फैलाना चाह रहे थे, लेकिन इमाम हुसैन ने कहा कि उनके रहते उनके नाना का दीन इस्लाम और उनका पैगाम खत्म नहीं होगा। इसी उद्देश के लिए इमाम हुसैन ने करबला में अजीम कुर्बानी दी और इस्लाम को बचा लिया।
मजलिस से पहले सोजख्वानी को हैदर काज़मी व कैफी मोहम्मदाबादी ने किया। उसके बाद पेशख्वानी मुफ्ती शारिब मेहदी व हुसैन मुस्तफा वजीह ने किया।
ज्ञात हो कि मोहर्रम में विशेष रूप से मजलिसें होती है लोग हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत व बलिदान को याद करते है। शोक मनाने वाले लोग मजलिसों में शामिल होते हैं, रोते हैं, और इमाम हुसैन के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इस अवसर पर धर्मगुरु मौलाना सै सफदर हुसैन ज़ैदी, मुफ्ती अनवार हैदर, सै मो मुस्तफा, नैय्यर आज़म, मौलाना सै मोहसिन, नजमुल हसन नजमी, सै मो हसन नसीम, डॉ अली जौहर आज़म, कायम आब्दी, इसरार हुसैन, अनवारूल हसन, नजमुल हसन, अलमदार, अरूश, दानिश अब्बास, हैदर हुसैन, साजन खान सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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